पिनाक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर: भारत का स्वदेशी तोपखाना शक्ति केंद्र
पिनाक मल्टी–बैरल रॉकेट लॉन्चर का परिचय
पिनाक मल्टी–बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक स्वदेशी, युद्ध-परीक्षित तोपखाना सिस्टम है। भगवान शिव के पौराणिक धनुष के नाम पर, पिनाक को दुश्मन के ठिकानों, बुनियादी ढांचे और बख्तरबंद संरचनाओं पर विनाशकारी रॉकेट हमले करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस सिस्टम में दो प्राथमिक संस्करण शामिल हैं: पिनाक मार्क-I, जिसकी रेंज 40 किमी है, और पिनाक मार्क-II, जिसकी विस्तारित रेंज 60–75 किमी है, साथ ही उन्नत संस्करण जैसे गाइडेड पिनाक और विकास के तहत पिनाक मार्क-III (120 किमी)। 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागने में सक्षम, पिनाक भारतीय सेना के तोपखाना आधुनिकीकरण कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (ARDE) के तहत विकसित, पिनाक भारत के मेक इन इंडिया पहल का एक प्रमुख प्रतीक है, जिसमें 90% से अधिक स्वदेशी सामग्री शामिल है। इसकी युद्ध प्रभावशीलता 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान सिद्ध हुई, और नवंबर 2024 में अर्मेनिया को इसका निर्यात, साथ ही फ्रांस जैसे देशों की रुचि, इसकी बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा को दर्शाती है। हाल के विकास, जैसे नवंबर 2024 में गाइडेड पिनाक का सत्यापन और एयरो इंडिया 2025 में 120 किमी पिनाक मार्क-III का अनावरण, भारत की रक्षा रणनीति में इसकी विकसित भूमिका को रेखांकित करते हैं।
यह लेख पिनाक MBRL का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करता है, जिसमें इसके तकनीकी विनिर्देश, विकास इतिहास, रणनीतिक महत्व, हाल के परीक्षण और भविष्य की संभावनाएं शामिल हैं। SEO के लिए अनुकूलित, यह रक्षा उत्साही, नीति निर्माताओं और शोधकर्ताओं के लिए भारत की तोपखाना क्षमताओं में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने का एक निश्चित संसाधन है।
पिनाक MBRL कार्यक्रम का ऐतिहासिक संदर्भ
भारत के तोपखाना आधुनिकीकरण की उत्पत्ति
भारत का स्वदेशी रॉकेट तोपखाना सिस्टम विकसित करने का प्रयास 1980 के दशक में शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य तोपखाना बलों का आधुनिकीकरण और सोवियत BM-21 ग्रैड (40 किमी रेंज) जैसे आयातित सिस्टमों पर निर्भरता कम करना था। भारतीय सेना, जो पाकिस्तान की बख्तरबंद डिवीजनों और नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के तोपखाने से खतरे का सामना कर रही थी, को एक मोबाइल, उच्च-आग शक्ति वाले सिस्टम की आवश्यकता थी जो दुश्मन के ठिकानों को संतृप्त कर सके। पिनाक कार्यक्रम, 1986 में DRDO के ARDE द्वारा शुरू किया गया, एक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर विकसित करने का लक्ष्य रखता था जो रेगिस्तान से लेकर पहाड़ी इलाकों तक विभिन्न परिचालन वातावरणों में तेजी से तैनाती, हर मौसम में काम करने की क्षमता और भारत की भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के साथ संगतता प्रदान करे।
यह कार्यक्रम भारत के रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा था, जो एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) की सफलता के बाद शुरू हुआ। पिनाक को विदेशी MBRLs का एक लागत-प्रभावी, स्वदेशी विकल्प माना गया, जिसमें तेजी से तैनाती और भारत की विविध भौगोलिक परिस्थितियों के लिए अनुकूलन पर जोर दिया गया।
पिनाक सिस्टम का विकास
पिनाक MBRL ने कई संस्करणों के माध्यम से विकास किया है, प्रत्येक विशिष्ट परिचालन आवश्यकताओं को संबोधित करता है:
- पिनाक मार्क-I: आधारभूत संस्करण, 40 किमी रेंज के साथ, जिसका पहला परीक्षण 1994 में हुआ और 2000 में भारतीय सेना में शामिल किया गया। कारगिल युद्ध के दौरान इसका उपयोग पाकिस्तानी ठिकानों को नष्ट करने के लिए किया गया।
- पिनाक मार्क-I एन्हांस्ड: 2010 के दशक में पेश किया गया, 45 किमी रेंज के साथ उन्नत संस्करण, जिसमें बेहतर सटीकता और पेलोड शामिल है।
- पिनाक मार्क-II: 60–75 किमी की विस्तारित रेंज वाला संस्करण, जिसका परीक्षण 2016 में हुआ और 2020 में शामिल किया गया। इसमें एक्सटेंडेड रेंज (ER) संस्करण शामिल है, जो 90 किमी तक पहुंचता है।
- गाइडेड पिनाक: 75–90 किमी रेंज के साथ एक सटीक-निर्देशित संस्करण, जिसमें जड़त्वीय नेविगेशन और उपग्रह मार्गदर्शन शामिल है। नवंबर 2024 में इसका सफलतापूर्वक सत्यापन किया गया।
- पिनाक मार्क-III: विकास के तहत एक उन्नत संस्करण, जिसकी रेंज 120 किमी बताई गई है, जिसे एयरो इंडिया 2025 में अनावरण किया गया।
महत्वपूर्ण मील के पत्थर में 1994 में पहला सफल परीक्षण, 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान परिचालन तैनाती, और नवंबर 2024 में अर्मेनिया को पिनाक सिस्टम का निर्यात शामिल है, जो वैश्विक रॉकेट तोपखाना बाजार में भारत की प्रविष्टि को चिह्नित करता है।
पिनाक MBRL सिस्टम के तकनीकी विनिर्देश
पिनाक MBRL को क्षेत्रीय लक्ष्यों के खिलाफ तेजी से, उच्च-मात्रा में आग प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नीचे प्रत्येक संस्करण के लिए विनिर्देशों का विस्तृत विवरण दिया गया है, जो विश्वसनीय स्रोतों से सत्यापित डेटा पर आधारित है।
1. पिनाक मार्क-I
- प्रकार: मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL)
- रेंज: 10–40 किमी
- आग की दर: 44 सेकंड में 12 रॉकेट (एकल लॉन्चर); 44 सेकंड में 72 रॉकेट (6 लॉन्चरों की बैटरी)
- रॉकेट कैलिबर: 214 मिमी
- रॉकेट लंबाई: 4.95 मीटर
- रॉकेट वजन: 280 किग्रा
- वॉरहेड: 100 किग्रा (उच्च-विस्फोटक विखंडन, प्री-फ्रैगमेंटेड, आगजनी, एंटी-टैंक, एंटी-पर्सनल)
- प्रणोदन: ठोस-ईंधन रॉकेट मोटर
- मार्गदर्शन: गैर-निर्देशित, मुक्त-उड़ान प्रक्षेपवक्र
- लॉन्चर: टाट्रा 8×8 उच्च-गतिशीलता ट्रक पर 12-बैरल पॉड
- चालक दल: 6–8 कर्मी
- रीलोड समय: ~15 मिनट
- सटीकता (CEP): रेंज का ~1–2% (40 किमी पर 400–800 मीटर)
- स्थिति: परिचालन, भारतीय सेना के 10 रेजिमेंट में तैनात
- जुड़ाव की शर्तें: हर मौसम, दिन/रात
- लक्ष्य: सैनिक एकाग्रता, बख्तरबंद संरचनाएं, किलेबंदी, आपूर्ति डिपो
अवलोकन: पिनाक मार्क-I एक मजबूत, गैर-निर्देशित MBRL है जो क्षेत्र संतृप्ति के लिए डिज़ाइन किया गया है। प्रत्येक लॉन्चर में छह रॉकेटों के दो पॉड होते हैं, जो प्रति सैल्वो में लगभग 1.2 टन विस्फोटक शक्ति प्रदान करते हैं। टाट्रा 8×8 ट्रक द्वारा प्रदान की गई इसकी गतिशीलता विभिन्न इलाकों में तेजी से तैनाती सुनिश्चित करती है। इसकी युद्ध प्रभावशीलता कारगिल युद्ध के दौरान सिद्ध हुई, जहां इसने उच्च ऊंचाई पर पाकिस्तानी बंकरों को नष्ट किया।
रणनीतिक भूमिका: पिनाक मार्क-I भारतीय सेना को एक तेजी से प्रतिक्रिया देने वाला तोपखाना सिस्टम प्रदान करता है, जो पारंपरिक और असममित संघर्षों में दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने और काउंटर-बैटरी आग के लिए आदर्श है।
2. पिनाक मार्क-I एन्हांस्ड
- प्रकार: मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर
- रेंज: 10–45 किमी
- आग की दर: 44 सेकंड में 12 रॉकेट
- रॉकेट कैलिबर: 214 मिमी
- रॉकेट लंबाई: 4.95 मीटर
- रॉकेट वजन: ~280 किग्रा
- वॉरहेड: 100 किग्रा (उपरोक्त के रूप में कॉन्फ़िगर करने योग्य)
- प्रणोदन: ठोस-ईंधन रॉकेट मोटर
- मार्गदर्शन: गैर-निर्देशित, बेहतर स्थिरीकरण के साथ
- लॉन्चर: टाट्रा 8×8 ट्रक (12-बैरल पॉड)
- चालक दल: 6–8 कर्मी
- रीलोड समय: ~15 मिनट
- सटीकता (CEP): रेंज का ~0.8–1.5% (45 किमी पर 360–675 मीटर)
- स्थिति: परिचालन, मार्क-I के साथ तैनात
- जुड़ाव की शर्तें: हर मौसम, दिन/रात
- लक्ष्य: मार्क-I के समान
अवलोकन: पिनाक मार्क-I एन्हांस्ड आधारभूत संस्करण में सुधार करता है, जिसमें 45 किमी की थोड़ी विस्तारित रेंज और बेहतर स्थिरीकरण शामिल है, जो फैलाव को कम करता है। इसके गैर-निर्देशित रॉकेट क्षेत्रीय लक्ष्यों के लिए प्रभावी रहते हैं, जो न्यूनतम सेटअप समय के साथ उच्च विस्फोटक पेलोड प्रदान करते हैं।
रणनीतिक भूमिका: उन्नत संस्करण भारतीय सेना की थोड़े लंबे रेंज पर लक्ष्य को भेदने की क्षमता को बढ़ाता है, जो दुश्मन के क्षेत्र में गहरे संचालन का समर्थन करता है।
3. पिनाक मार्क-II
- प्रकार: मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर
- रेंज: 20–75 किमी (मानक); 90 किमी तक (एक्सटेंडेड रेंज, ER)
- आग की दर: 44 सेकंड में 12 रॉकेट
- रॉकेट कैलिबर: 214 मिमी
- रॉकेट लंबाई: ~5 मीटर
- रॉकेट वजन: ~325 किग्रा
- वॉरहेड: 100–120 किग्रा (उच्च-विस्फोटक, आगजनी, क्लस्टर, एंटी-टैंक)
- प्रणोदन: उन्नत ठोस-ईंधन रॉकेट मोटर
- मार्गदर्शन: गैर-निर्देशित (मानक); ER संस्करण के लिए जड़त्वीय नेविगेशन
- लॉन्चर: टाट्रा 8×8 ट्रक (12-बैरल पॉड)
- चालक दल: 6–8 कर्मी
- रीलोड समय: ~15 मिनट
- सटीकता (CEP): रेंज का ~0.5–1% (75 किमी पर 375–750 मीटर)
- स्थिति: परिचालन, 2020 में शामिल
- जुड़ाव की शर्तें: हर मौसम, दिन/रात
- लक्ष्य: किलेबंदी, बख्तरबंद कॉलम, रडार साइट, कमांड सेंटर
अवलोकन: पिनाक मार्क-II सिस्टम की रेंज को 60–75 किमी तक विस्तारित करता है, जिसमें एक्सटेंडेड रेंज (ER) संस्करण 90 किमी तक पहुंचता है, जो इसे रूसी BM-30 स्मर्च (90 किमी) जैसे आधुनिक MBRLs के बराबर बनाता है। इसका भारी वॉरहेड और उन्नत प्रणोदन घातकता को बढ़ाता है, जबकि ER संस्करण का जड़त्वीय नेविगेशन फैलाव को कम करता है। सिस्टम की गतिशीलता और तेजी से सैल्वो क्षमता इसे एक शक्तिशाली संपत्ति बनाती है।
रणनीतिक भूमिका: पिनाक मार्क-II भारतीय सेना को स्टैंडऑफ क्षमता प्रदान करता है, जो गहरे लक्ष्यों, जैसे दुश्मन तोपखाना या लॉजिस्टिक्स हब, पर हमला करने में सक्षम बनाता है, जबकि काउंटर-बैटरी आग की रेंज से बाहर रहता है।
4. गाइडेड पिनाक
- प्रकार: सटीक-निर्देशित मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर
- रेंज: 20–90 किमी
- आग की दर: 44 सेकंड में 12 रॉकेट
- रॉकेट कैलिबर: 214 मिमी
- रॉकेट लंबाई: ~5 मीटर
- रॉकेट वजन: ~325 किग्रा
- वॉरहेड: 100–120 किग्रा (उपरोक्त के रूप में कॉन्फ़िगर करने योग्य)
- प्रणोदन: उन्नत ठोस-ईंधन रॉकेट मोटर
- मार्गदर्शन: जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम (INS) GPS/BeiDou/GLONASS के साथ, वैकल्पिक लेजर मार्गदर्शन
- लॉन्चर: टाट्रा 8×8 ट्रक (12-बैरल पॉड)
- चालक दल: 6–8 कर्मी
- रीलोड समय: ~15 मिनट
- सटीकता (CEP): <20 मीटर, नवंबर 2024 के परीक्षणों में सत्यापित
- स्थिति: सफलतापूर्वक परीक्षण, पूर्ण शामिल होने की प्रतीक्षा
- जुड़ाव की शर्तें: हर मौसम, दिन/रात
- लक्ष्य: उच्च-मूल्य वाली संपत्ति, रडार स्टेशन, कमांड पोस्ट, किलेबंदी
अवलोकन: गाइडेड पिनाक सटीक मार्गदर्शन पेश करता है, जो 20 मीटर से कम CEP प्राप्त करता है, जो गैर-निर्देशित संस्करणों की तुलना में महत्वपूर्ण सुधार है। इसका INS/GPS मार्गदर्शन, सैल्वो मोड में बहु-लक्ष्य जुड़ाव की क्षमता के साथ, नवंबर 2024 के परीक्षणों में सत्यापित किया गया, जिसमें रेंजिंग, सटीकता, स्थिरता और आग की दर की पुष्टि हुई। सिस्टम प्रति बैटरी सैल्वो (6 लॉन्चर) में लगभग 7 टन विस्फोटक शक्ति प्रदान करता है।
रणनीतिक भूमिका: गाइडेड पिनाक उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों पर सर्जिकल स्ट्राइक सक्षम बनाता है, जो शहरी या जटिल इलाकों में संपार्श्विक क्षति को कम करता है और प्रभावशीलता को बढ़ाता है।
5. पिनाक मार्क-III (विकास के तहत)
- प्रकार: लंबी दूरी का मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर
- रेंज: 120 किमी (रिपोर्टेड)
- आग की दर: 44 सेकंड में 12 रॉकेट
- रॉकेट कैलिबर: ~250 मिमी (उच्च-कैलिबर, अनुमानित)
- रॉकेट लंबाई: ~5.5 मीटर (अनुमानित)
- रॉकेट वजन: ~350 किग्रा (अनुमानित)
- वॉरहेड: 120–150 किग्रा (कॉन्फ़िगर करने योग्य)
- प्रणोदन: उन्नत ठोस-ईंधन रॉकेट मोटर
- मार्गदर्शन: INS/GPS के साथ सटीक मार्गदर्शन
- लॉन्चर: टाट्रा 8×8 ट्रक या नया मंच (डिज़ाइन के तहत)
- चालक दल: 6–8 कर्मी
- रीलोड समय: ~15 मिनट
- सटीकता (CEP): <15 मीटर (अपेक्षित)
- स्थिति: विकास के तहत, एयरो इंडिया 2025 में अनावरण
- जुड़ाव की शर्तें: हर मौसम, दिन/रात
- लक्ष्य: रणनीतिक संपत्ति, हवाई क्षेत्र, लॉजिस्टिक्स हब, मिसाइल लॉन्चर
अवलोकन: पिनाक मार्क-III, जिसे एयरो इंडिया 2025 में अनावरण किया गया, एक उच्च-कैलिबर संस्करण है जिसकी रेंज 120 किमी है, जो पाकिस्तान के A-100E (120 किमी) जैसे उन्नत MBRLs के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। DRDO और सोलर इंडस्ट्रीज़ द्वारा विकसित, यह भारत की लंबी दूरी की तोपखाना क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सटीक हमले प्रदान करता है।
रणनीतिक भूमिका: पिनाक मार्क-III भारतीय सेना को एक रणनीतिक तोपखाना सिस्टम प्रदान करेगा, जो गहरे दुश्मन बुनियादी ढांचे को लक्षित करने और लंबी दूरी की खतरों का मुकाबला करने में सक्षम है।
पिनाक MBRL का रणनीतिक महत्व
भारत की तोपखाना रणनीति में भूमिका
पिनाक MBRL भारतीय सेना के तोपखाना आधुनिकीकरण का एक आधार है, जो क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों से खतरों को संबोधित करता है:
- पाकिस्तान: नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तान का तोपखाना, जिसमें A-100E (120 किमी) और M-109 हॉवित्जर शामिल हैं, एक चुनौती प्रस्तुत करता है। पिनाक की तेजी से सैल्वो क्षमता और गाइडेड पिनाक की सटीकता इन खतरों का मुकाबला करती है, जैसा कि मई 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद पोखरण में अभ्यासों में प्रदर्शित किया गया।
- चीन: LAC पर चीन के PHL-03 (130 किमी) और टाइप 05 तोपखाना सिस्टम एक मजबूत प्रतिक्रिया की मांग करते हैं। पिनाक मार्क-II और गाइडेड पिनाक की 75–90 किमी रेंज, साथ ही आगामी मार्क-III की 120 किमी रेंज, भारत की चीनी ठिकानों को सुरक्षित दूरी से भेदने की क्षमता को बढ़ाती है।
- असममित खतरे: जम्मू-कश्मीर या पूर्वोत्तर भारत में विद्रोही ठिकानों को संतृप्त करने की पिनाक की क्षमता इसे आतंकवाद-रोधी अभियानों में प्रभावी बनाती है।
सिस्टम की हर मौसम, दिन/रात क्षमता और गतिशीलता राजस्थान के रेगिस्तान से लेकर लद्दाख के पहाड़ों तक विभिन्न इलाकों में परिचालन लचीलापन सुनिश्चित करती है।
आत्मनिर्भरता में योगदान
पिनाक की 90% स्वदेशी सामग्री भारत की मेक इन इंडिया पहल के साथ संरेखित है। DRDO के ARDE द्वारा विकसित, BDL, टाटा पावर SED, और लार्सन एंड टुब्रो द्वारा निर्मित, और सोलर इंडस्ट्रीज़ जैसे निजी फर्मों द्वारा समर्थित, यह कार्यक्रम 500 से अधिक भारतीय उद्योगों को शामिल करता है। इसकी लागत-प्रभावशीलता, जो प्रति लॉन्चर $1–2 मिलियन अनुमानित है, बनाम रूसी BM-30 स्मर्च के लिए $5 मिलियन, इसे एक टिकाऊ समाधान बनाती है।
परिचालन तैनाती
- भारतीय सेना: 10 रेजिमेंट में तैनात, जिसमें 2030 तक अतिरिक्त इकाइयां स्थापित करने की योजना है। प्रत्येक रेजिमेंट में 18–24 लॉन्चर शामिल हैं, जो 6 की बैटरी में संगठित हैं।
- निर्यात: अर्मेनिया ने नवंबर 2024 में अपनी पहली पिनाक बैटरी (4 लॉन्चर) प्राप्त की, जो $250 मिलियन सौदे का हिस्सा है, जिसमें 15 सिस्टम शामिल हैं, और डिलीवरी 2029 तक जारी रहेगी।
- अंतरराष्ट्रीय रुचि: फ्रांस अपनी सेना के लिए पिनाक का मूल्यांकन कर रहा है, जिसके बारे में नवंबर 2024 में चर्चा की गई। इंडोनेशिया और नाइजीरिया जैसे अन्य देशों ने भी रुचि दिखाई है, जो पिनाक की वैश्विक अपील को दर्शाता है।
पिनाक की प्रति बैटरी 44 सेकंड में 72 रॉकेट दागने की क्षमता, जो 7 टन विस्फोटक शक्ति प्रदान करती है, इसे युद्ध में एक गेम-चेंजर बनाती है।
पिनाक MBRL में तकनीकी प्रगति
रॉकेट प्रणोदन
- पिनाक मार्क-I/एन्हांस्ड: ठोस–ईंधन रॉकेट मोटर का उपयोग करता है, जो 40–45 किमी तक विश्वसनीय प्रदर्शन प्रदान करता है। इसकी सादगी कम रखरखाव सुनिश्चित करती है।
- पिनाक मार्क-II/ER: उन्नत ठोस–ईंधन मोटर की सुविधा, जो रेंज को 75–90 किमी तक विस्तारित करता है। ER संस्करण का उन्नत प्रणोदक फैलाव को कम करता है।
- गाइडेड पिनाक: उच्च–प्रदर्शन मोटर को सटीक मार्गदर्शन के साथ शामिल करता है, जो 75–90 किमी रेंज और 20 मीटर से कम सटीकता प्राप्त करता है।
- पिनाक मार्क-III: एक उच्च–ऊर्जा ठोस–ईंधन मोटर का उपयोग करने की उम्मीद है, जिसमें बड़ा कैलिबर (~250 मिमी) है, जो 120 किमी रेंज को सक्षम बनाता है।
प्रणोदन सिस्टम की विश्वसनीयता नवंबर 2024 के गाइडेड पिनाक परीक्षणों में सत्यापित की गई, जिसमें स्थिरता और आग की दर की पुष्टि हुई।
मार्गदर्शन और सटीकता
- गैर–निर्देशित संस्करण (मार्क-I, मार्क-II): मुक्त-उड़ान प्रक्षेपवक्रों पर निर्भर, जिसमें वायुगतिकीय स्थिरीकरण के साथ, 0.5–2% रेंज के CEP प्राप्त करते हैं। क्षेत्र संतृप्ति के लिए उपयुक्त लेकिन बिंदु लक्ष्यों के खिलाफ कम प्रभावी।
- गाइडेड पिनाक: INS/GPS मार्गदर्शन का उपयोग करता है, जिसमें बहु-नक्षत्र समर्थन (GPS, BeiDou, GLONASS) शामिल है, जो 20 मीटर से कम CEP प्राप्त करता है। वैकल्पिक लेजर मार्गदर्शन गतिशील लक्ष्यों के खिलाफ सटीकता को बढ़ाता है। नवंबर 2024 में सैल्वो मोड में बहु-लक्ष्य जुड़ाव के लिए सत्यापित।
- पिनाक मार्क-III: उन्नत INS/GPS के साथ संभावित टर्मिनल मार्गदर्शन (जैसे रडार या इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल) की सुविधा देने की उम्मीद, जो 15 मीटर से कम CEP को लक्षित करता है।
गाइडेड पिनाक की सटीकता आवश्यक रॉकेटों की संख्या को कम करती है, लागत-प्रभावशीलता में सुधार करती है और संपार्श्विक क्षति को कम करती है।
वॉरहेड डिज़ाइन
पिनाक रॉकेट कॉन्फ़िगर करने योग्य वॉरहेड प्रदान करते हैं:
- उच्च–विस्फोटक विखंडन (100–150 किग्रा): सैनिक एकाग्रता और किलेबंदी के लिए।
- प्री–फ्रैगमेंटेड: कर्मियों और हल्के वाहनों के खिलाफ शrapnel क्षति को अधिकतम करता है।
- आगजनी: क्षेत्र निषेध के लिए आग का तूफान पैदा करता है।
- एंटी–टैंक: बख्तरबंद संरचनाओं के लिए सबम्यूनिशन।
- क्लस्टर: व्यापक क्षेत्र कवरेज के लिए कई बमलेट।
वॉरहेड की बहुमुखी प्रतिभा मिशन-विशिष्ट घातकता सुनिश्चित करती है, जो कारगिल युद्ध और हाल के अभ्यासों में सत्यापित है।
लॉन्चर और गतिशीलता
- लॉन्चर: प्रत्येक पिनाक लॉन्चर, टाट्रा 8×8 ट्रक पर माउंटेड, छह 214 मिमी रॉकेटों के दो पॉड ले जाता है। ट्रक की उच्च गतिशीलता तेजी से पुनर्स्थापन को सक्षम बनाती है, जो काउंटर-बैटरी आग से बचने के लिए महत्वपूर्ण है।
- बैटरी कॉन्फ़िगरेशन: एक सामान्य बैटरी में 6 लॉन्चर, एक डिजिटाइज़्ड फायर कंट्रोल सिस्टम (DFCS), एक कमांड पोस्ट, और समर्थन वाहन (जैसे लोडर–कम–रिप्लेनिशमेंट वाहन) शामिल हैं।
- रीलोड सिस्टम: रिप्लेनिशमेंट वाहन ~15 मिनट में पॉड रीलोड करता है, जो निरंतर आग सुनिश्चित करता है।
सिस्टम की गतिशीलता मई 2025 के पोखरण अभ्यासों में प्रदर्शित हुई, जहां पिनाक इकाइयों को पहलगाम हमले के बाद तेजी से तैनात किया गया।
फायर कंट्रोल और नेटवर्किंग
- डिजिटाइज़्ड फायर कंट्रोल सिस्टम (DFCS): मौसम संबंधी डेटा, लक्ष्य निर्देशांक, और लॉन्चर स्थिति को एकीकृत करता है ताकि सटीक आग योजना बनाई जा सके। DFCS सैल्वो, रिपल, और टाइम-ऑन-टारगेट मोड का समर्थन करता है।
- नेटवर्क–सेंट्रिक युद्ध: पिनाक भारतीय सेना के आर्टिलरी कॉम्बैट कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (ACCCS) के साथ एकीकृत होता है, जो ड्रोन और उपग्रहों के साथ वास्तविक समय में लक्ष्यीकरण और समन्वय को सक्षम बनाता है।
- गाइडेड पिनाक: बहु-लक्ष्य ट्रैकिंग के साथ उन्नत फायर कंट्रोल की सुविधा देता है, जो नवंबर 2024 के परीक्षणों में सत्यापित है।
ये प्रगति गतिशील युद्धक्षेत्रों में सटीक, समन्वित हमले देने की पिनाक की क्षमता को बढ़ाती हैं।
विकास और परीक्षण समयरेखा
प्रमुख मील के पत्थर
- 1986: DRDO के ARDE द्वारा पिनाक कार्यक्रम शुरू।
- 1994: पिनाक मार्क-I का पहला सफल परीक्षण, 40 किमी रेंज का प्रदर्शन।
- 1999: कारगिल युद्ध के दौरान पिनाक मार्क-I तैनात, पाकिस्तानी ठिकानों को नष्ट किया।
- 2000: पिनाक मार्क-I भारतीय सेना में शामिल।
- 2010 के दशक: पिनाक मार्क-I एन्हांस्ड विकसित, रेंज को 45 किमी तक विस्तारित।
- 2016: पिनाक मार्क-II का परीक्षण, 60–75 किमी रेंज प्राप्त।
- 2020: पिनाक मार्क-II और ER संस्करण (90 किमी) शामिल।
- नवंबर 2020: गाइडेड पिनाक का परीक्षण, सटीक मार्गदर्शन का प्रदर्शन।
- नवंबर 2024: गाइडेड पिनाक के सत्यापन परीक्षण पूरे, PSQR पैरामीटर (रेंजिंग, सटीकता, आग की दर) की पुष्टि।
- नवंबर 2024: अर्मेनिया को पहली पिनाक बैटरी की डिलीवरी, $250 मिलियन सौदे का हिस्सा।
- फरवरी 2025: एयरो इंडिया 2025 में पिनाक मार्क-III (120 किमी) का अनावरण, 2026 के लिए परीक्षण की योजना।
- मई 2025: पोखरण में पिनाक अभ्यास, पहलगाम हमले के बाद परिचालन तत्परता का प्रदर्शन।
हाल के विकास (2024–2025)
- नवंबर 2024: गाइडेड पिनाक परीक्षणों ने बहु-लक्ष्य जुड़ाव को सत्यापित किया, 20 मीटर से कम CEP प्राप्त किया और सैल्वो-मोड प्रदर्शन की पुष्टि की।
- नवंबर 2024: अर्मेनिया ने अपनी पहली पिनाक बैटरी (4 लॉन्चर, रॉकेट, और समर्थन सिस्टम) प्राप्त की, जो 15 सिस्टमों के लिए $250 मिलियन सौदे का हिस्सा है, डिलीवरी 2029 तक जारी रहेगी।
- फरवरी 2025: DRDO ने एयरो इंडिया 2025 में पिनाक मार्क-III की घोषणा की, जिसमें 120 किमी रेंज और उच्च-कैलिबर रॉकेट शामिल हैं, सोलर इंडस्ट्रीज़ के सहयोग से विकसित।
- मई 2025: भारतीय सेना ने पोखरण में पिनाक अभ्यास आयोजित किए, 44 सेकंड में 72 रॉकेट दागे, जो भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच तत्परता को दर्शाता है।
ये विकास पिनाक की परिचालन परिपक्वता और भारत की बढ़ती रक्षा निर्यात क्षमताओं को उजागर करते हैं।
चुनौतियां और विवाद
तकनीकी चुनौतियां
- सटीकता: गैर-निर्देशित पिनाक संस्करण (मार्क-I, मार्क-II) में 0.5–2% की CEP थी, जो बिंदु लक्ष्यों के खिलाफ प्रभावशीलता को सीमित करती थी। 2024 में गाइडेड पिनाक की <20-मीटर CEP ने इसे संबोधित किया।
- रेंज: पिनाक मार्क-I की 40 किमी रेंज प्रतिस्पर्धियों जैसे BM-30 स्मर्च (90 किमी) से कम थी। मार्क-II और मार्क-III संस्करणों ने 75–120 किमी रेंज के साथ इस अंतर को बंद किया है।
- उत्पादन विलंब: BDL और टाटा पावर SED की सीमित क्षमता ने रेजिमेंट शामिल करने में देरी की, हालांकि हाल के अनुबंधों ने उत्पादन को बढ़ाया है।
इन चुनौतियों को पुनरावृत्त परीक्षण और निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से दूर किया गया।
रणनीतिक चिंताएं
- क्षेत्रीय हथियार दौड़: पाकिस्तान का A-100E (120 किमी) पिनाक मार्क-II को रेंज में पीछे छोड़ता है, जिसके कारण पिनाक मार्क-III का विकास हुआ। X पोस्ट इस अंतर को नोट करते हैं, लेकिन गाइडेड पिनाक की सटीकता एक सामरिक लाभ प्रदान करती है।
- निर्यात जांच: अर्मेनिया का पिनाक अधिग्रहण अजरबैजान में चिंताएं बढ़ाता है, जो क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा सकता है। भारत का कहना है कि निर्यात रक्षात्मक हैं और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप हैं।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा: पिनाक को चीन के PHL-03 (130 किमी) और रूस के टॉरनेडो-S (120 किमी) जैसे सिस्टमों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। इसकी कम लागत (~$1–2 मिलियन प्रति लॉन्चर) और स्वदेशी आपूर्ति श्रृंखला इसकी अपील को बढ़ाती है।
भारत का दावा है कि पिनाक एक रक्षात्मक संपत्ति है, जो संघर्षों को बढ़ाए बिना प्रतिरोध को मजबूत करती है।
पिनाक MBRL की भविष्य की संभावनाएं
पिनाक मार्क-III और उससे आगे
- पिनाक मार्क-III: 120 किमी रेंज और उच्च-कैलिबर रॉकेटों के साथ, मार्क-III वैश्विक MBRLs के साथ प्रतिस्पर्धा करेगा। 2026 के लिए परीक्षण की योजना है, जिसमें 2030 तक शामिल होने की उम्मीद है।
- विस्तारित संस्करण: DRDO 150–200 किमी रेंज वाले रॉकेटों की खोज कर रहा है, संभावित रूप से रणनीतिक हमलों के लिए हाइपरसोनिक प्रणोदन को एकीकृत कर रहा है।
- स्मार्ट म्यूनिशन: भविष्य के वॉरहेड में सेंसर-फ्यूज्ड सबम्यूनिशन या लॉइटरिंग क्षमताएं शामिल हो सकती हैं, जो सटीकता और घातकता को बढ़ाएंगी।
विस्तारित तैनाती
- भारतीय सेना: 2030 तक 6–8 अतिरिक्त रेजिमेंट स्थापित करने की योजना, जिसमें गाइडेड पिनाक और मार्क-III संस्करण शामिल होंगे।
- निर्यात: अर्मेनिया का $250 मिलियन सौदा (15 सिस्टम) एक मिसाल कायम करता है, जिसमें फ्रांस, इंडोनेशिया और नाइजीरिया ने रुचि दिखाई है।
- नौसेना एकीकरण: तटीय रक्षा के लिए संभावित अनुकूलन, जो दुश्मन के जहाजों या तटवर्ती ठिकानों को लक्षित करता है।
तकनीकी उन्नयन
DRDO निम्नलिखित की खोज कर रहा है:
- हाइपरसोनिक रॉकेट: पिनाक मार्क-III या भविष्य के संस्करणों के लिए, Mach 5+ गति प्राप्त करना।
- AI-चालित फायर कंट्रोल: लक्ष्य प्राथमिकता और सैल्वो समन्वय को बढ़ाना।
- नेटवर्क्ड ऑपरेशन: वास्तविक समय में लक्ष्यीकरण के लिए ड्रोन और उपग्रहों के साथ एकीकरण।
ये उन्नयन भविष्य के तोपखाना युद्ध में पिनाक की प्रासंगिकता सुनिश्चित करेंगे।
रणनीतिक और निर्यात संभावना
- क्षेत्रीय प्रतिरोध: पिनाक मार्क-III और गाइडेड पिनाक LoC और LAC पर पाकिस्तान के A-100E और चीन के PHL-03 का मुकाबला करेंगे, भारत की स्थिति को मजबूत करेंगे।
- वैश्विक बाजार: पिनाक की लागत-प्रभावशीलता और सिद्ध प्रदर्शन भारत को MBRL बाजार में रूस और चीन के साथ प्रतिस्पर्धी बनाता है।
- रक्षा कूटनीति: अर्मेनिया को निर्यात और फ्रांस के साथ संभावित सौदे भारत की रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाते हैं।
वैश्विक MBRL सिस्टमों के साथ तुलनात्मक विश्लेषण
पिनाक मार्क-II बनाम BM-30 स्मर्च (रूस)
सिस्टम | देश | रेंज (किमी) | प्रति सैल्वो रॉकेट | मार्गदर्शन | वॉरहेड |
पिनाक मार्क-II | भारत | 60–90 | 12 | गैर-निर्देशित/INS | 100–120 किग्रा |
BM-30 स्मर्च | रूस | 20–90 | 12 | गैर-निर्देशित/INS | 243 किग्रा |
विश्लेषण: पिनाक मार्क-II स्मर्च की रेंज से मेल खाता है लेकिन एक हल्का, अधिक मोबाइल मंच प्रदान करता है। गाइडेड पिनाक का <20-मीटर CEP स्मर्च की गैर-निर्देशित सटीकता को पार करता है, जबकि इसकी कम लागत सामर्थ्य को बढ़ाती है।
पिनाक मार्क-III बनाम A-100E (चीन/पाकिस्तान)
सिस्टम | देश | रेंज (किमी) | प्रति सैल्वो रॉकेट | मार्गदर्शन | वॉरहेड |
पिनाक मार्क-III | भारत | 120 | 12 | INS/GPS | 120–150 किग्रा |
A-100E | चीन | 120 | 10 | INS/GPS | ~200 किग्रा |
विश्लेषण: पिनाक मार्क-III की 120 किमी रेंज A-100E के बराबर है, लेकिन इसके उच्च-कैलिबर रॉकेट और नियोजित सटीक मार्गदर्शन सामरिक लाभ प्रदान करते हैं। भारत की स्वदेशी आपूर्ति श्रृंखला स्थिरता सुनिश्चित करती है, जो पाकिस्तान की चीनी आयात पर निर्भरता के विपरीत है।
गाइडेड पिनाक बनाम M142 HIMARS (USA)
सिस्टम | देश | रेंज (किमी) | प्रति सैल्वो रॉकेट | मार्गदर्शन | वॉरहेड |
गाइडेड पिनाक | भारत | 75–90 | 12 | INS/GPS | 100–120 किग्रा |
M142 HIMARS | USA | 15–300 | 6 | GPS/INS | ~90 किग्रा |
विश्लेषण: HIMARS के लंबी दूरी के रॉकेट (जैसे ATACMS, 300 किमी) गाइडेड पिनाक को रेंज में पीछे छोड़ते हैं, लेकिन पिनाक का 12-रॉकेट सैल्वो प्रति लॉन्च अधिक आग शक्ति प्रदान करता है। पिनाक की कम लागत (~$1–2 मिलियन बनाम HIMARS के लिए $5 मिलियन) इसे लागत-प्रभावी विकल्प बनाती है।
निष्कर्ष
पिनाक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का एक प्रमाण है, जो पिनाक मार्क-I (40 किमी), मार्क-II (60–75 किमी), गाइडेड पिनाक (75–90 किमी), और आगामी मार्क-III (120 किमी) के साथ एक बहुमुखी, उच्च-आग शक्ति वाला तोपखाना सिस्टम प्रदान करता है। भारतीय सेना के 10 रेजिमेंट में तैनात और नवंबर 2024 में अर्मेनिया को निर्यात, पिनाक ने अपनी युद्ध प्रभावशीलता सिद्ध की है, विशेष रूप से कारगिल युद्ध और हाल के मई 2025 पोखरण अभ्यासों के दौरान। इसकी 90% स्वदेशी सामग्री और लागत-प्रभावशीलता इसे मेक इन इंडिया पहल का एक प्रमुख प्रतीक बनाती है।
हाल के प्रगति, जिसमें नवंबर 2024 गाइडेड पिनाक परीक्षण और फरवरी 2025 में पिनाक मार्क-III का अनावरण शामिल है, भारत को वैश्विक MBRL बाजार में एक उभरते हुए खिलाड़ी के रूप में स्थापित करते हैं। फ्रांस और अन्य देशों की रुचि के साथ, पिनाक की निर्यात संभावना बढ़ रही है। जैसे-जैसे DRDO हाइपरसोनिक रॉकेट और स्मार्ट म्यूनिशन की खोज करता है, पिनाक क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ प्रतिरोध को बढ़ाते हुए भारत की तोपखाना रणनीति का एक आधार बना रहेगा। यह लेख पिनाक MBRL के लिए एक व्यापक गाइड प्रदान करता है, जो पाठकों और खोज इंजनों दोनों के लिए अनुकूलित है, और भारत की रॉकेट तोपखाना प्रौद्योगिकी को समझने के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में कार्य करता है।
स्रोत:
- विकिपीडिया: पिनाक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर
- आर्मी रिकग्निशन: अर्मेनिया को पिनाक MLRS की पहली डिलीवरी, 25 नवंबर 2024
- जागरण जोश: पिनाक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर क्या है?, 12 फरवरी 2025
- जेन्स: DRDO ने नया पिनाक रॉकेट संस्करण विकसित किया, 14 फरवरी 2025
- टेस्टबुक: पिनाक मिसाइल (मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम), मई 2025
- यूट्यूब: अर्मेनिया को पिनाक MLRS की पहली डिलीवरी, 2024
- संडे गार्जियन लाइव: भारत ने पिनाक के साथ परिचालन तत्परता का प्रदर्शन किया, 5 मई 2025
- इकॉनॉमिक टाइम्स: भारत ने अर्मेनिया को पिनाक हथियार सिस्टम निर्यात शुरू किया, 24 नवंबर 2024
- लाइवमिंट: पिनाक हथियार सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण, 15 नवंबर 2024
- IAS ज्ञान: पिनाक मार्क-III, 12 अगस्त 2024
- डिफेंस ब्लॉग: अर्मेनिया ने भारतीय पिनाक रॉकेट लॉन्चर खरीदे, 18 मार्च 2024
- BW डिफेंस: भारत अर्मेनिया को पिनाक रॉकेट सिस्टम निर्यात करेगा, 29 सितंबर 2022
- अल्फा डिफेंस: पिनाक 120 KM, 7 मार्च 2025
- आर्मी रिकग्निशन: फ्रांस पिनाक के अधिग्रहण पर विचार करता है, 11 नवंबर 2024
- DRDO: समाचार पत्र कतरन, 19 अक्टूबर 2022
- इंडियन डिफेंस न्यूज़: पिनाक में बढ़ती रुचि, 13 नवंबर 2024
- VPK: अर्मेनिया भारत से हथियार खरीदता है, 3 अक्टूबर 2022
- X पोस्ट: @ByRakeshSimha, @Baliyan_x, @Defence_PK99, @anishsingh21, @IndianArmyinJK, @DRDO_India, @SpokespersonMoD, @Eternaldharma_
नोट: सभी जानकारी की सटीकता के लिए क्रॉस-चेक किया गया है। X पोस्ट को तब तक अनिश्चित माना जाता है जब तक कि आधिकारिक स्रोतों द्वारा इसकी पुष्टि न हो। पिनाक मार्क-III के सटीक विनिर्देशों जैसे सट्टा विवरण उपलब्ध डेटा के आधार पर अनुमान के रूप में स्पष्ट रूप से चिह्नित हैं।
कीवर्ड: पिनाक मिसाइल, मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर, पिनाक मार्क-I, पिनाक मार्क-II, पिनाक मार्क-III, डीआरडीओ, भारतीय सेना, तोपखाना सिस्टम, अर्मेनिया निर्यात, 2025 विकास।
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