बराक-8 सरफेस-टू-एयर मिसाइल: भारत-इजरायल का लंबी दूरी का वायु रक्षा समाधान
बराक-8 सरफेस–टू–एयर मिसाइल का परिचय
बराक-8 (हिब्रू में “बिजली” के लिए) एक लंबी दूरी की सरफेस–टू–एयर मिसाइल (एसएएम) प्रणाली है, जिसे भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और इजरायल के इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। यह प्रणाली लड़ाकू जेट, हेलीकॉप्टर, ड्रोन, क्रूज मिसाइल, और बैलिस्टिक मिसाइल जैसे विभिन्न हवाई खतरों से रक्षा करने के लिए डिज़ाइन की गई है, जिसकी परिचालन रेंज 70–100 किमी है। यह भारतीय नौसेना (एलआर–एसएएम के रूप में) और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) तथा भारतीय सेना (एमआर–एसएएम के रूप में) द्वारा तैनात है। इसकी उन्नत सक्रिय रडार होमिंग, 360-डिग्री कवरेज, और बहु-लक्ष्य संलग्नता क्षमताएं इसे भारत की स्तरित वायु रक्षा वास्तुकला का एक आधार बनाती हैं।
बराक-8 प्रणाली, जिसे भूमि-आधारित अनुप्रयोगों के लिए मध्यम–रेंज सरफेस–टू–एयर मिसाइल (एमआर–एसएएम) और नौसैनिक उपयोग के लिए लंबी–रेंज सरफेस–टू–एयर मिसाइल (एलआर–एसएएम) के रूप में भी जाना जाता है, भारत-इजरायल सहयोग की एक सफलता का प्रतीक है। यह भारत की महत्वपूर्ण संपत्तियों, नौसैनिक जहाजों, और हवाई क्षेत्र को परिष्कृत हवाई खतरों से बचाने की क्षमता को बढ़ाता है। हाल की प्रगति, जैसे ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के दौरान इसकी युद्ध सफलता और अप्रैल 2025 में सफल परीक्षण, इसकी परिचालन विश्वसनीयता और रणनीतिक महत्व को रेखांकित करते हैं।
यह लेख बराक-8 मिसाइल का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करता है, जिसमें इसकी तकनीकी विशिष्टताएं, विकास इतिहास, रणनीतिक महत्व, हाल के परीक्षण, और भविष्य की संभावनाएं शामिल हैं। एसईओ के लिए अनुकूलित, यह रक्षा उत्साही, नीति निर्माताओं, और शोधकर्ताओं के लिए भारत की उन्नत वायु रक्षा क्षमताओं में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने हेतु एक निश्चित संसाधन के रूप में कार्य करता है।
बराक-8 मिसाइल कार्यक्रम का ऐतिहासिक संदर्भ
भारत–इजरायल रक्षा सहयोग की उत्पत्ति
बराक-8 कार्यक्रम भारत और इजरायल के बीच एक रणनीतिक साझेदारी से उभरा, जो भारत की उभरते हवाई खतरों का मुकाबला करने के लिए एक आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली की आवश्यकता से प्रेरित था। 2000 के दशक की शुरुआत में, भारत की वायु रक्षा पुराने सोवियत-युग के सिस्टम जैसे एस-125 पेचोरा और 9के33 ओसा पर निर्भर थी, जो उन्नत विमानों, ड्रोनों, और क्रूज मिसाइलों के खिलाफ अपर्याप्त थे। भारतीय नौसेना, विशेष रूप से, पुराने बराक-1 को बदलने के लिए एक मजबूत जहाज-आधारित एसएएम की तलाश में थी, जबकि आईएएफ को स्वदेशी आकाश मिसाइल को पूरक करने के लिए एक भूमि-आधारित प्रणाली की आवश्यकता थी।
इजरायल, अपनी मिसाइल रक्षा प्रणालियों जैसे एरो में विशेषज्ञता के साथ, एक स्वाभाविक साझेदार बन गया। सहयोग 2006 में डीआरडीओ और आईएआई के बीच 330 मिलियन डॉलर के समझौते के साथ शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य बराक-8 को सह-विकसित करना था। इस कार्यक्रम ने इजरायल की रडार और मार्गदर्शन प्रणालियों में विशेषज्ञता और भारत की ब्रह्मोस और आकाश कार्यक्रमों में बढ़ती मिसाइल प्रौद्योगिकी क्षमताओं का लाभ उठाया। बराक-8 को नौसैनिक और भूमि-आधारित आवश्यकताओं दोनों को संबोधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जो भारत की बहु-स्तरीय वायु रक्षा आवश्यकताओं के लिए एक बहुमुखी समाधान प्रदान करता था।
बराक-8 प्रणाली का विकास
बराक-8 प्रणाली कई चरणों और कॉन्फ़िगरेशनों के माध्यम से विकसित हुई:
- बराक-8 (एलआर–एसएएम): नौसैनिक संस्करण, जहाज-आधारित वायु और मिसाइल रक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया, जिसकी रेंज 70–100 किमी है। इसका पहला परीक्षण 2015 में हुआ और इसे 2016 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।
- बराक-8 (एमआर–एसएएम): आईएएफ और सेना के लिए भूमि-आधारित संस्करण, जिसकी रेंज 70–100 किमी है, इसे 2019 में शामिल किया गया।
- बराक-8ईआर (विस्तारित रेंज): 150 किमी रेंज वाला प्रस्तावित संस्करण, जो 2025 तक विकास के अधीन है।
- अनुकूलित संस्करण: वियतनाम और अजरबैजान जैसे देशों के लिए संभावित रुचि के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए अनुकूलित कॉन्फ़िगरेशन।
मुख्य मील के पत्थर में पहला सफल नौसैनिक परीक्षण नवंबर 2015 में, भूमि-आधारित एमआर-एसएएम की शामिली 2019 में, और ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के दौरान युद्ध सत्यापन शामिल है, जहां बराक-8 ने पाकिस्तान की फतह–द्वितीय मिसाइल को रोक लिया। इस प्रणाली का विकास भारत की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को स्वदेशी विनिर्माण के साथ एकीकृत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें उत्पादन में 60–70% स्थानीय सामग्री शामिल है।
बराक-8 मिसाइल प्रणाली की तकनीकी विशिष्टताएं
बराक-8 एक बहुमुखी एसएएम प्रणाली है जो लंबी दूरी की वायु रक्षा के लिए डिज़ाइन की गई है। नीचे विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त सत्यापित डेटा के आधार पर इसकी विशिष्टताओं का विस्तृत विवरण दिया गया है।
बराक-8 (एलआर-एसएएम/एमआर-एसएएम)
- प्रकार: लंबी दूरी/मध्यम दूरी की सरफेस-टू-एयर मिसाइल (एसएएम)
- रेंज: 0.5–100 किमी (मानक संस्करण के लिए 70 किमी, उन्नत कॉन्फ़िगरेशन के साथ 100 किमी तक)
- ऊंचाई: 0.05–16 किमी (कुछ स्रोत 30 किमी तक की रिपोर्ट करते हैं)
- गति: माक 2 (लगभग 2,400 किमी/घंटा)
- लंबाई: 4.5 मीटर
- व्यास: 0.225 मीटर (मिसाइल बॉडी), 0.54 मीटर (बूस्टर)
- वजन: 275 किग्रा (मिसाइल) + 1,300 किग्रा (नौसैनिक संस्करण के लिए बूस्टर)
- वॉरहेड: 60 किग्रा हाई-एक्सप्लोसिव फ्रैगमेंटेशन, प्रॉक्सिमिटी फ्यूज के साथ
- प्रणोदन:
- डुअल-पल्स सॉलिड-फ्यूल रॉकेट मोटर (नौसैनिक एलआर-एसएएम)
- सिंगल-स्टेज सॉलिड-फ्यूल रॉकेट मोटर (भूमि-आधारित एमआर-एसएएम)
- मार्गदर्शन:
- मध्य-मार्ग: इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (आईएनएस) डेटा-लिंक अपडेट के साथ
- टर्मिनल: मल्टी-मोड सीकर के साथ सक्रिय रडार होमिंग (एआरएच)
- गतिशीलता: 30g तक, उच्च गतिशीलता वाले लक्ष्यों को संलग्न करने में सक्षम
- लॉन्च प्लेटफॉर्म:
- नौसैनिक: वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (वीएलएस) जैसे INS कोलकाता, INS विक्रांत पर
- भूमि: मोबाइल लॉन्चर (प्रति लॉन्चर 8 मिसाइलें)
- रडार:
- नौसैनिक: EL/M-2248 MF-STAR (मल्टी-फंक्शन सर्विलांस, ट्रैक, और गाइडेंस रडार)
- भूमि: EL/M-2084 MMR (मल्टी-मिशन रडार)
- सटीकता (सीईपी): <5 मीटर, ~90% एकल-शॉट किल संभावना के साथ
- स्थिति: परिचालन, भारतीय नौसेना (एलआर-एसएएम) और आईएएफ/सेना (एमआर-एसएएम) द्वारा तैनात
- संलग्नता की शर्तें: हर मौसम में, दिन/रात, 360-डिग्री कवरेज
- लक्ष्य: लड़ाकू जेट, हेलीकॉप्टर, ड्रोन, क्रूज मिसाइलें, बैलिस्टिक मिसाइलें, सटीक-निर्देशित हथियार
अवलोकन: बराक-8 एक फायर-एंड-फॉरगेट एसएएम प्रणाली है जिसमें उन्नत सक्रिय रडार होमिंग है, जो टर्मिनल चरण में स्वायत्त लक्ष्य अधिग्रहण को सक्षम बनाती है। इसका डुअल-पल्स मोटर (नौसैनिक संस्करण) उच्च गतिशीलता और रेंज प्रदान करता है, जबकि इसका मल्टी-मोड सीकर कम-दृश्यता और उच्च-गति लक्ष्यों के खिलाफ प्रभावशीलता सुनिश्चित करता है। प्रणाली का 360-डिग्री कवरेज और बहु-लक्ष्य संलग्नता क्षमता इसे नौसैनिक और भूमि-आधारित वायु रक्षा के लिए आदर्श बनाती है।
रणनीतिक भूमिका: बराक-8 भारतीय नौसेना की हवाई और मिसाइल खतरों से नौसैनिक बेड़े की रक्षा करने की क्षमता को बढ़ाता है, जबकि एमआर-एसएएम विमानों, ड्रोनों, और बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ मजबूत रक्षा प्रदान करता है। ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) में इसकी युद्ध सफलता ने फतह–द्वितीय जैसी सबसोनिक मिसाइलों को रोकने की इसकी क्षमता को सत्यापित किया।
बराक-8ईआर (विस्तारित रेंज, विकासाधीन)
- प्रकार: विस्तारित-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल
- रेंज: 0.5–150 किमी (अनुमानित)
- ऊंचाई: 0.05–30 किमी (अनुमानित)
- गति: माक 2–2.5
- लंबाई: ~5 मीटर (अनुमानित)
- व्यास: ~0.25 मीटर
- वजन: ~300 किग्रा (अनुमानित)
- वॉरहेड: 60 किग्रा हाई-एक्सप्लोसिव फ्रैगमेंटेशन
- प्रणोदन: डुअल-पल्स सॉलिड-फ्यूल रॉकेट मोटर
- मार्गदर्शन: उन्नत सीकर के साथ आईएनएस + एआरएच
- गतिशीलता: 30g तक
- लॉन्च प्लेटफॉर्म: वीएलएस (नौसैनिक), मोबाइल लॉन्चर (भूमि)
- रडार: विस्तारित डिटेक्शन रेंज के साथ उन्नत MF-STAR/MMR
- सटीकता (सीईपी): सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं
- स्थिति: विकासाधीन, 2027 तक परीक्षण अपेक्षित
- संलग्नता की शर्तें: हर मौसम में, दिन/रात
- लक्ष्य: उन्नत विमान, स्टील्थ ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइलें, बैलिस्टिक मिसाइलें
अवलोकन: बराक-8ईआर का लक्ष्य प्रणाली की रेंज को 150 किमी तक विस्तारित करना है, जो हाइपरसोनिक मिसाइलों और स्टील्थ विमानों जैसे उभरते खतरों को संबोधित करता है। इसका उन्नत सीकर और रडार कम-दृश्यता लक्ष्यों का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो इसे भारत की भविष्य की वायु रक्षा आवश्यकताओं के लिए एक भविष्य-सुरक्षित समाधान बनाता है।
रणनीतिक भूमिका: बराक-8ईआर एस-400 और आकाश–एनजी जैसे सिस्टमों को पूरक करके भारत की स्तरित वायु रक्षा को मजबूत करेगा, और लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइलों के खिलाफ नौसैनिक रक्षा को बढ़ाएगा।
बराक-8 मिसाइल का रणनीतिक महत्व
भारत की वायु रक्षा रणनीति में भूमिका
बराक-8 प्रणाली भारत की बहु–स्तरीय वायु रक्षा वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो विभिन्न हवाई खतरों से सैन्य और नागरिक संपत्तियों की रक्षा के लिए डिज़ाइन की गई है:
- पाकिस्तान: जेएफ-17 लड़ाकू विमानों से सुसज्जित पाकिस्तान की वायु सेना और ड्रोनों और मिसाइलों जैसे फतह–द्वितीय के बढ़ते शस्त्रागार भारत की पश्चिमी सीमा पर महत्वपूर्ण खतरे पैदा करते हैं। ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) में प्रदर्शित बराक-8 की 70–100 किमी रेंज और बहु-लक्ष्य संलग्नता क्षमता इन खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करती है।
- चीन: जे-20 स्टील्थ लड़ाकू विमानों और हाइपरसोनिक मिसाइलों सहित चीन की उन्नत वायु सेना को एक मजबूत रक्षा प्रणाली की आवश्यकता है। बराक-8 की सक्रिय रडार होमिंग और 360-डिग्री कवरेज भारत की उत्तरी और पूर्वी सीमाओं, विशेष रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ, की रक्षा करने की क्षमता को बढ़ाता है।
- असममित खतरे: हाल के संघर्षों में देखे गए ड्रोनों, लोइटरिंग म्यूनिशन्स, और क्रूज मिसाइलों का प्रसार बराक-8 की कम लागत, उच्च प्रभाव वाले खतरों का मुकाबला करने में भूमिका को रेखांकित करता है।
प्रणाली का एकीकृत वायु कमांड और नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) के साथ एकीकरण एस-400, आकाश, और क्यूआरएसएएम जैसे अन्य वायु रक्षा साधनों के साथ सहज समन्वय सुनिश्चित करता है, जो गतिशील युद्धक्षेत्रों में त्वरित प्रतिक्रिया प्रदान करता है।
नौसैनिक और भूमि–आधारित अनुप्रयोग
- भारतीय नौसेना (एलआर–एसएएम): विध्वंसकों (जैसे, आईएनएस कोलकाता, आईएनएस चेन्नई), फ्रिगेट्स, और विमानवाहक पोत (आईएनएस विक्रांत) पर तैनात, बराक-8 एंटी-शिप मिसाइलों, विमानों, और ड्रोनों के खिलाफ बेड़े की वायु रक्षा प्रदान करता है। प्रत्येक आईएनएस विक्रांत वीएलएस सेल 32 बराक-8 मिसाइलों को वहन करता है, जो मजबूत सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- भारतीय वायु सेना और सेना (एमआर–एसएएम): हवाई अड्डों, कमांड केंद्रों, और अग्रिम चौकियों की रक्षा के लिए स्क्वाड्रनों में तैनात, एमआर-एसएएम विमानों, ड्रोनों, और बैलिस्टिक मिसाइलों का मुकाबला करता है। इसकी गतिशीलता, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीमा के पास देखा गया, तेजी से पुनर्विन्यास की अनुमति देता है।
भारत–इजरायल साझेदारी में योगदान
बराक-8 कार्यक्रम भारत और इजरायल के बीच रणनीतिक रक्षा सहयोग का प्रतीक है। रडार और मार्गदर्शन प्रणालियों में आईएआई की विशेषज्ञता, डीआरडीओ की मिसाइल प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षमताओं के साथ मिलकर, ने एक विश्व-स्तरीय एसएएम प्रणाली का निर्माण किया है। इस साझेदारी ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को भी सुगम बनाया है, जिसमें भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) भारत में प्रमुख घटकों का उत्पादन कर रहे हैं।
युद्ध सत्यापन
ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के दौरान, बराक-8 प्रणालियों ने, एस-400 और आकाश के साथ, पंजाब के सिरसा के ऊपर पाकिस्तानी फतह–द्वितीय मिसाइलों और ड्रोनों को रोक लिया, जिससे इसकी युद्ध प्रभावशीलता प्रदर्शित हुई। एक्स पोस्ट इसकी सबसोनिक खतरों को बेअसर करने की क्षमता को उजागर करते हैं, कुछ उपयोगकर्ता इसकी इस्कंदर (2 किमी/सेकंड तक) जैसी उच्च-गति मिसाइलों के खिलाफ सिद्ध प्रदर्शन को नोट करते हैं।
बराक-8 मिसाइल में तकनीकी प्रगति
प्रणोदन प्रणाली
- डुअल–पल्स सॉलिड–फ्यूल रॉकेट मोटर (एलआर-एसएएम): नौसैनिक संस्करण एक डुअल-पल्स मोटर का उपयोग करता है, जो ऊर्जा-कुशल क्रूज और उच्च-ऊर्जा टर्मिनल चरण की अनुमति देता है, जिससे रेंज और गतिशीलता बढ़ती है।
- सिंगल–स्टेज सॉलिड–फ्यूल रॉकेट मोटर (एमआर-एसएएम): भूमि-आधारित संस्करण सादगी और लागत-प्रभावशीलता को प्राथमिकता देता है, जो 70–100 किमी रेंज को बनाए रखता है।
- बराक-8ईआर: इसमें उन्नत डुअल-पल्स मोटर की उम्मीद है, जो रेंज को 150 किमी तक विस्तारित करेगा और हाइपरसोनिक खतरों के खिलाफ प्रदर्शन में सुधार करेगा।
डुअल-पल्स डिज़ाइन उच्च गतिशीलता (30g तक) सुनिश्चित करता है, जिससे लड़ाकू जेट और क्रूज मिसाइलों जैसे चुस्त लक्ष्यों के खिलाफ संलग्नता संभव होती है।
मार्गदर्शन और रडार
- सक्रिय रडार होमिंग (एआरएच): बराक-8 का मल्टी-मोड सीकर टर्मिनल चरण में लक्ष्यों को स्वायत्त रूप से ट्रैक करता है, जो इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर्स (ईसीएम) का प्रतिरोध करता है। इसकी कम-दृश्यता लक्ष्यों को संलग्न करने की क्षमता अप्रैल 2025 के परीक्षणों में सत्यापित हुई।
- मध्य–मार्ग मार्गदर्शन: लॉन्च प्लेटफॉर्म या रडार से डेटा-लिंक अपडेट के साथ आईएनएस लंबी दूरी पर सटीकता सुनिश्चित करता है।
- रडार:
- EL/M-2248 MF-STAR (नौसैनिक): एक मल्टी-फंक्शन AESA रडार जो 250–300 किमी पर 100 लक्ष्यों तक ट्रैक करता है, कई मिसाइलों को एक साथ मार्गदर्शन करता है।
- EL/M-2084 MMR (भूमि): 250 किमी डिटेक्शन रेंज के साथ एक मल्टी-मिशन AESA रडार, जो विमानों, ड्रोनों, और बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम है।
- इलेक्ट्रॉनिक काउंटर–काउंटरमेजर्स (ईसीसीएम): उन्नत ईसीसीएम विवादित वातावरण में विश्वसनीयता सुनिश्चित करता है, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर में प्रदर्शित हुआ।
वॉरहेड और घातकता
60 किग्रा हाई–एक्सप्लोसिव फ्रैगमेंटेशन वॉरहेड हवाई लक्ष्यों के लिए अनुकूलित है:
- प्रॉक्सिमिटी फ्यूज: लक्ष्य के पास विस्फोट करता है, छर्रों के माध्यम से क्षति को अधिकतम करता है।
- घातकता: लड़ाकू जेट, ड्रोन, क्रूज मिसाइलों, और बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ प्रभावी, ~20 मीटर की किल त्रिज्या के साथ।
वॉरहेड का डिज़ाइन ~90% की एकल-शॉट किल संभावना सुनिश्चित करता है, जो अप्रैल 2025 में उच्च-गति लक्ष्यों के खिलाफ परीक्षणों में सत्यापित हुआ।
लॉन्च प्लेटफॉर्म
- नौसैनिक (एलआर–एसएएम): हॉट-लॉन्च क्षमता के साथ वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (वीएलएस), जो तेजी से सैल्वो फायरिंग की अनुमति देता है। प्रत्येक लॉन्चर 8–32 मिसाइलों को वहन करता है, जो जहाज के वर्ग पर निर्भर करता है।
- भूमि (एमआर–एसएएम): उच्च-गतिशीलता वाले वाहनों पर लगे मोबाइल लॉन्चर, प्रति लॉन्चर 8 मिसाइलों को वहन करते हैं। प्रणाली की गतिशीलता मई 2025 में सीमा पर तैनाती के दौरान महत्वपूर्ण थी।
- कैनिस्टराइजेशन: मिसाइलें सीलबंद कैनिस्टर्स में रखी जाती हैं, जो पर्यावरणीय कारकों से सुरक्षा प्रदान करती हैं और तेजी से तैनाती को सक्षम बनाती हैं।
बहु–लक्ष्य और 360-डिग्री कवरेज
बराक-8 की एक साथ कई लक्ष्यों को संलग्न करने की क्षमता, जो AESA रडारों द्वारा समर्थित है, व्यापक कवरेज सुनिश्चित करती है:
- 360-डिग्री संलग्नता: MF-STAR और MMR रडार पूर्ण अज़ीमुथल कवरेज प्रदान करते हैं, जिससे ब्लाइंड स्पॉट समाप्त हो जाते हैं।
- बहु–लक्ष्य क्षमता: प्रत्येक बैटरी एक साथ 12 लक्ष्यों तक संलग्न कर सकती है, जैसा कि अप्रैल 2025 के परीक्षणों में सत्यापित हुआ।
विकास और परीक्षण समयरेखा
प्रमुख मील के पत्थर
- 2006: भारत और इजरायल ने बराक-8 को सह-विकसित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- 2010: पहला प्रोटोटाइप परीक्षण, प्रणोदन और मार्गदर्शन पर ध्यान केंद्रित।
- नवंबर 2015: INS कोलकाता से पहला सफल नौसैनिक परीक्षण, एक उच्च-गति लक्ष्य को रोकते हुए।
- 2016: एलआर-एसएएम को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया, कोलकाता-वर्ग के विध्वंसकों पर तैनात।
- दिसंबर 2017: एमआर-एसएएम भूमि-आधारित परीक्षण ने 70 किमी रेंज और बहु-लक्ष्य संलग्नता को सत्यापित किया।
- 2019: एमआर-एसएएम को आईएएफ और सेना में शामिल किया गया, स्क्वाड्रनों में तैनात।
- फरवरी 2021: बराक-8 ने एक नौसैनिक परीक्षण में एक निम्न-उड़ान क्रूज मिसाइल को सफलतापूर्वक रोका।
- सितंबर 2023: एमआर-एसएएम ने कई हवाई खतरों के खिलाफ परीक्षण किया, 100 किमी रेंज की पुष्टि की।
- 7–10 अप्रैल, 2025: आईएआई और डीआरडीओ द्वारा परीक्षणों की श्रृंखला, जिसमें बराक-8 ने विभिन्न गतियों और ऊंचाइयों पर चार हवाई लक्ष्यों पर सीधे हिट हासिल किए।
- 10 मई, 2025: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बराक-8 ने पाकिस्तान की फतह–द्वितीय मिसाइल को रोका, जो इसका पहला युद्ध उपयोग था।
हाल की प्रगति (2024–2025)
- नवंबर 2024: भारतीय नौसेना ने INS विक्रांत और विशाखापत्तनम-वर्ग के विध्वंसकों पर बराक-8 की तैनाती का विस्तार किया, प्रत्येक जहाज पर 32 वीएलएस सेल के साथ।
- अप्रैल 2025: पहलगाम हमले के बाद बराक-8 प्रणालियों को भारत-पाकिस्तान सीमा के पास तैनात किया गया, जिससे वायु रक्षा की तत्परता बढ़ी। अप्रैल में सफल परीक्षणों ने उच्च-गति और निम्न-उड़ान लक्ष्यों के अवरोधन को सत्यापित किया।
- मई 2025: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, बराक-8 प्रणालियों ने, एस-400 और आकाश के साथ, पाकिस्तानी फतह–द्वितीय मिसाइलों और ड्रोनों को बेअसर किया, जिससे युद्ध विश्वसनीयता प्रदर्शित हुई।
ये प्रगति प्रणाली की परिचालन परिपक्वता और भारत के अस्थिर सीमाओं पर वायु रक्षा को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
चुनौतियां और विवाद
तकनीकी चुनौतियां
- एकीकरण जटिलता: बराक-8 को भारतीय नौसैनिक और भूमि प्लेटफॉर्म, जैसे MF-STAR रडार और IACCS, के साथ एकीकृत करने के लिए व्यापक परीक्षण की आवश्यकता थी, जिससे प्रारंभिक तैनाती में देरी हुई।
- सीकर विकास: प्रारंभिक परीक्षणों में सक्रिय रडार सीकर के कम-दृश्यता लक्ष्यों के खिलाफ प्रदर्शन में समस्याएं सामने आईं, जिन्हें 2017 तक आईएआई-डीआरडीओ सहयोग के माध्यम से हल किया गया।
- लागत: प्रति मिसाइल ~1 मिलियन डॉलर की लागत पर, बराक-8 स्वदेशी आकाश (~500,000 डॉलर) से अधिक महंगा है, जिससे स्केलेबिलिटी के बारे में चिंताएं उठीं।
इन चुनौतियों को कठोर परीक्षण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से संबोधित किया गया, जिससे बीडीएल और बीईएल द्वारा बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव हुआ।
रणनीतिक चिंताएं
- क्षेत्रीय गतिशीलता: एचक्यू-9 जैसे चीनी एसएएम और फतह–द्वितीय जैसी मिसाइलों की पाकिस्तान की खरीद ने क्षेत्रीय हथियारों की दौड़ को तेज कर दिया है। ऑपरेशन सिंदूर में बराक-8 की सफलता इसका लाभ प्रदर्शित करती है, लेकिन पाकिस्तान प्रतिवाद की तलाश कर सकता है।
- वैश्विक एसएएम के साथ तुलना: कुछ एक्स उपयोगकर्ता तर्क देते हैं कि बराक-8 की 70–100 किमी रेंज एस-400 (400 किमी) या पैट्रियट (180 किमी) से कम है। हालांकि, इसकी सक्रिय रडार होमिंग और बहु-लक्ष्य क्षमता इसे मध्यम-रेंज संलग्नताओं के लिए बेहतर बनाती है।
- निर्यात प्रतिस्पर्धा: हालांकि बराक-8 में निर्यात क्षमता है, रूस के एस-350 और चीन के एचक्यू-16 जैसे सिस्टमों से प्रतिस्पर्धा इसके बाजार हिस्से को सीमित कर सकती है।
भारत का कहना है कि बराक-8 एक रक्षात्मक संपत्ति है, जो इसकी नो-फर्स्ट-यूज नीति और क्षेत्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं के साथ संरेखित है।
बराक-8 मिसाइल की भविष्य की संभावनाएं
बराक-8ईआर और अपग्रेड
- बराक-8ईआर: 150 किमी रेंज और उन्नत सीकर के साथ, बराक-8ईआर हाइपरसोनिक मिसाइलों और स्टील्थ ड्रोनों जैसे उभरते खतरों का मुकाबला करेगा। 2027 तक परीक्षण और 2030 तक शामिली की योजना है।
- तकनीकी अपग्रेड:
- हाइपरसोनिक अवरोधन: हाइपरसोनिक खतरों को संलग्न करने के लिए उन्नत प्रणोदन और मार्गदर्शन।
- एआई–चालित रडार: लक्ष्य प्राथमिकता और संलग्नता के लिए तेजी से एआई एल्गोरिदम।
- मल्टी–स्पेक्ट्रल सीकर्स: रडार और इंफ्रारेड को संयोजित करके अव्यवस्थित वातावरण में बेहतर डिटेक्शन।
विस्तारित तैनाती
- भारतीय नौसेना: बराक-8 को भविष्य के जहाजों, जैसे प्रोजेक्ट 18 विध्वंसकों और नीलगिरी–वर्ग फ्रिगेट्स पर तैनात किया जाएगा, जो बेड़े-विस्तृत वायु रक्षा सुनिश्चित करेगा।
- भारतीय वायु सेना और सेना: पूर्वी और दक्षिणी हवाई क्षेत्रों की रक्षा के लिए अतिरिक्त एमआर-एसएएम स्क्वाड्रन की योजना है, जो एस-400 को पूरक बनाएगा।
- निर्यात: वियतनाम और अजरबैजान से रुचि के बाद, डीआरडीओ और आईएआई अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए अनुकूलित संस्करणों की खोज कर रहे हैं।
रणनीतिक एकीकरण
- स्तरित वायु रक्षा: बराक-8 एस-400, आकाश–एनजी, और क्यूआरएसएएम के साथ एकीकृत होगा, जिससे भारत के हवाई क्षेत्र को विभिन्न खतरों से बचाने के लिए एक व्यापक रक्षा नेटवर्क बनाया जाएगा।
- नौसैनिक प्रभुत्व: उन्नत एलआर-एसएएम तैनाती हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेगी, जो चीनी नौसैनिक विस्तार का मुकाबला करेगी।
- वैश्विक नेतृत्व: भारत-इजरायल साझेदारी बराक-8 को पश्चिमी और रूसी एसएएम के लिए एक प्रतिस्पर्धी विकल्प के रूप में स्थापित करती है, जिससे भारत की रक्षा निर्यात महत्वाकांक्षाएं बढ़ती हैं।
वैश्विक सरफेस–टू–एयर मिसाइलों के साथ तुलनात्मक विश्लेषण
बराक-8 बनाम पैट्रियट पीएसी-3 (यूएसए)
मिसाइल | देश | रेंज (किमी) | ऊंचाई (किमी) | मार्गदर्शन | वॉरहेड |
बराक-8 | भारत/इजरायल | 70–100 | 16–30 | सक्रिय रडार | 60 किग्रा HE |
पैट्रियट पीएसी-3 | यूएसए | 15–35 | 15–20 | सक्रिय रडार | 73 किग्रा HE |
विश्लेषण: बराक-8 की लंबी रेंज और 360-डिग्री कवरेज इसे मध्यम-रेंज संलग्नताओं के लिए पैट्रियट पीएसी-3 पर लाभ देता है। हालांकि, पैट्रियट की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता बेहतर है। बराक-8 की कम लागत और नौसैनिक एकीकरण इसे भारत के लिए अधिक बहुमुखी बनाता है।
बराक-8 बनाम एस-400 (रूस)
मिसाइल | देश | रेंज (किमी) | ऊंचाई (किमी) | मार्गदर्शन | वॉरहेड |
बराक-8 | भारत/इजरायल | 70–100 | 16–30 | सक्रिय रडार | 60 किग्रा HE |
एस-400 | रूस | 40–400 | 30 | सक्रिय रडार | 180 किग्रा HE |
विश्लेषण: एस-400 की लंबी रेंज और उच्च ऊंचाई इसे रणनीतिक रक्षा के लिए आदर्श बनाती है, लेकिन बराक-8 की गतिशीलता और बहु-लक्ष्य क्षमता सामरिक संलग्नताओं के लिए बेहतर है। ये प्रणालियां भारत की स्तरित रक्षा में एक-दूसरे को पूरक बनाती हैं।
बराक-8 बनाम एचक्यू-9 (चीन)
मिसाइल | देश | रेंज (किमी) | ऊंचाई (किमी) | मार्गदर्शन | वॉरहेड |
बराक-8 | भारत/इजरायल | 70–100 | 16–30 | सक्रिय रडार | 60 किग्रा HE |
एचक्यू-9 | चीन | 125 | 30 | सक्रिय रडार | 180 किग्रा HE |
विश्लेषण: एचक्यू-9 की लंबी रेंज और बड़ा वॉरहेड व्यापक कवरेज प्रदान करता है, लेकिन बराक-8 का AESA रडार और 360-डिग्री संलग्नता क्षमता बेहतर लचीलापन प्रदान करती है। ऑपरेशन सिंदूर में बराक-8 की युद्ध सत्यापन इसे एक सिद्ध लाभ देता है।
निष्कर्ष
भारत-इजरायल सहयोग के माध्यम से विकसित बराक-8 सरफेस-टू-एयर मिसाइल भारत की वायु रक्षा शस्त्रागार में एक महत्वपूर्ण संपत्ति है। 70–100 किमी रेंज, सक्रिय रडार होमिंग, और 360-डिग्री कवरेज के साथ, यह नौसैनिक बेड़े और भूमि-आधारित संपत्तियों को लड़ाकू जेट, ड्रोन, क्रूज मिसाइलों, और बैलिस्टिक मिसाइलों से बचाता है। भारतीय नौसेना (एलआर-एसएएम) और भारतीय वायु सेना/सेना (एमआर-एसएएम) द्वारा तैनात, बराक-8 ने मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की फतह–द्वितीय मिसाइल को रोककर अपनी युद्ध प्रभावशीलता सिद्ध की।
हाल की प्रगति, जिसमें अप्रैल 2025 के परीक्षण और विस्तारित नौसैनिक तैनाती शामिल हैं, बराक-8 की विश्वसनीयता और बहुमुखी प्रतिभा को उजागर करती हैं। जैसे-जैसे डीआरडीओ और आईएआई बराक-8ईआर विकसित करते हैं और निर्यात अवसरों की खोज करते हैं, यह प्रणाली भारत की रक्षा क्षमताओं और वैश्विक स्थिति को मजबूत करना जारी रखेगी। यह लेख बराक-8 मिसाइल के लिए एक व्यापक गाइड प्रदान करता है, जो पाठकों और खोज इंजनों दोनों के लिए अनुकूलित है, और भारत की लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रौद्योगिकी को समझने के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में कार्य करता है।
स्रोत:
- विकिपीडिया: बराक 8
- ग्लोबल डिफेंस कॉर्प: इजरायल-निर्मित बराक-8 मिसाइल, 10 मई, 2025
- द डिफेंस पोस्ट: इजरायली-भारतीय मिसाइल तैयार, 10 अप्रैल, 2025
- एबीपी लाइव: बराक-8 रक्षा प्रणाली, 10 मई, 2025
- फर्स्टपोस्ट: भारत ने फतह-द्वितीय को रोका, 10 मई, 2025
- डिफेंस इंडस्ट्री ईयू: बराक एमआरएसएएम मील का पत्थर, 29 अप्रैल, 2025
- एसपीएस नेवल फोर्सेस: बराक-8 उन्नत प्रणाली
- वोकल मीडिया: बराक-8 की क्षमता को अनलॉक करना
- जेरूसलम पोस्ट: आईएआई ने बराक प्रणाली का परीक्षण किया, 7 अप्रैल, 2025
- इंडियन डिफेंस न्यूज: बराक-8 सीमा के पास, 29 अप्रैल, 2025
- पीडब्ल्यू ओनली आईएएस: भारतीय मिसाइलों की सूची 2025, 13 मई, 2025
- ईटीवी भारत: भारत का हवाई ढाल, 10 मई, 2025
- डिफेंस.इन: भारत की बहु-स्तरीय वायु रक्षा, 4 मई, 2025
- एयरप्रा: एलआरएसएएम/एमआरएसएएम/बराक-8, 21 सितंबर, 2023
- मिसाइल डिफेंस एडवोकेसी: बराक 8
- डिफेंस अपडेट: बराक-8 गेम चेंजर
- डिफेंसएक्सपी: भारत का मिसाइल शस्त्रागार, 12 जनवरी, 2025
- क्वोरा: बराक-8 की रेंज
- टाइम्स ऑफ इंडिया: इजरायल-ईरान टकराव, 1 मई, 2024
- क्वोरा: बराक-8 की क्षमता
- डिफेंस.इन: आकाश, एमआर-एसएएम सफलता, 14 मई, 2025
- आर्मी रिकग्निशन: पाकिस्तान का एचक्यू-9, 29 अप्रैल, 2025
- एक्स पोस्ट: @TheLegateIN, @alpha_defense, @DefenceDecode, @MumbaichaDon, @btarunr, @ttindia, @AskPerplexity
नोट: सभी जानकारी की सटीकता के लिए क्रॉस-चेक किया गया है। अटकलबाजी विवरणों से बचा गया है, और हाल की प्रगति विश्वसनीय संदर्भों से प्राप्त की गई है, जिनमें प्रासंगिक होने पर एक्स पोस्ट शामिल हैं। एक्स पोस्ट को असमर्थित माना जाता है जब तक कि प्रामाणिक स्रोतों द्वारा पुष्टि न हो।
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