अखंड स्वाभिमान

महाराणा सांगा और मेवाड़ की शाश्वत महिमा


वर्ष 1482 था, हालांकि इतिहासकारों के बीच सटीक तिथि के बारे में कुछ बहस आज भी छिड़ी हुई है। मेवाड़ के हृदय स्थल चित्तौड़ के किले में, राणा रायमल और उनकी रानी रतन कुंवर के घर एक बच्चे का जन्म हुआ, जो हलवाड़ के झाला वंश की राजकुमारी थी। उन्होंने उसका नाम संग्राम सिंह रखा, एक ऐसा नाम जो भविष्यसूचक साबित हुआ- “संग्राम”, जिसका अर्थ है युद्ध, जो आगे जाकर उस नवजात बालक की नियती और उसके भाग्य को परिभाषित करेगा।

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Poetries on Maharana Sanga



महाराणा सांगा: परिचय

कुंभलगढ़: शौर्य और स्वाभिमान का उदय

मेवाड़ की तलवार, साहस और सैन्य विजय

सशक्त साम्राज्य और राजपूताने का एकीकरण

महाराणा सांगा – ताज के पीछे का आदमी

विजेता का पतन: खानवा, बाबर और विश्वासघात

शाश्वत ज्वाला: विरासत और उससे आगे

निष्कर्ष: समय के साथ शेर की दहाड़



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