नाग एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल: भारत का फायर-एंड-फॉरगेट टैंक नष्ट करने वाला हथियार
नाग एंटी–टैंक गाइडेड मिसाइल का परिचय
नाग (संस्कृत में “कोबरा” के लिए) भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित एक तीसरी पीढ़ी की फायर–एंड–फॉरगेट एंटी–टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) है। भारी बख्तरबंद टैंकों और मजबूत ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन की गई यह मिसाइल अपनी भूमि-आधारित कॉन्फ़िगरेशन में 4–7 किमी की परिचालन रेंज रखती है और इसे नाग मिसाइल कैरियर (नमिका) प्लेटफॉर्म पर तैनात किया गया है, जो एक संशोधित बीएमपी-2 बख्तरबंद वाहन है। इसका उन्नत इमेजिंग इन्फ्रारेड (आईआईआर) सीकर, टॉप-अटैक क्षमता, और हर मौसम में प्रदर्शन इसे आधुनिक बख्तरबंद युद्ध में एक शक्तिशाली हथियार बनाता है।
एकीकृत गाइडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के हिस्से के रूप में, नाग मिसाइल भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करती है, जो पाकिस्तान और चीन जैसे प्रतिद्वंद्वियों से उभरते खतरों, जिनके टैंक बेड़े में टी-90 और टाइप 99 जैसे उन्नत मॉडल शामिल हैं, का मुकाबला करने के लिए एक विश्वसनीय, स्वदेशी एटीजीएम की मांग करती है। मिसाइल के विभिन्न संस्करण, जैसे हेलिना (हेलीकॉप्टर से लॉन्च) और नाग एमके-2, इसे भूमि, वायु और संभावित रूप से नौसैनिक प्लेटफॉर्मों पर बहुमुखी बनाते हैं। हाल की प्रगति, जैसे जनवरी 2025 में नाग एमके-2 के सफल क्षेत्रीय परीक्षण और मार्च 2025 में नाग मिसाइल सिस्टम (नमिस) की शुरूआत, भारत के सैन्य आधुनिकीकरण में इसकी बढ़ती भूमिका को रेखांकित करती है।
यह लेख नाग मिसाइल का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करता है, जिसमें इसकी तकनीकी विशेषताएँ, विकास इतिहास, रणनीतिक महत्व, हाल के परीक्षण, और भविष्य की संभावनाएँ शामिल हैं। एसईओ के लिए अनुकूलित, यह रक्षा उत्साही, नीति निर्माताओं, और शोधकर्ताओं के लिए एक निश्चित संसाधन के रूप में कार्य करता है जो भारत की एंटी-टैंक मिसाइल क्षमताओं में अंतर्दृष्टि चाहते हैं।
नाग मिसाइल कार्यक्रम का ऐतिहासिक संदर्भ
भारत की एंटी-टैंक मिसाइल महत्वाकांक्षाओं की उत्पत्ति
भारत की एंटी-टैंक मिसाइल तकनीक की खोज 1980 के दशक में शुरू हुई, जो 1983 में शुरू किए गए आईजीएमडीपी का हिस्सा थी, जिसका नेतृत्व डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की रणनीतिक और सामरिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए मिसाइलों का एक परिवार विकसित करना था, जिसमें पृथ्वी, अग्नि, आकाश, त्रिशूल, और नाग शामिल थे। नाग मिसाइल को भारतीय सेना की उन्नत शत्रु बख्तरबंद वाहनों, विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन के साथ क्षेत्रीय तनावों के संदर्भ में, को हराने में सक्षम एक आधुनिक एटीजीएम की आवश्यकता को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
उस समय, भारतीय सेना सोवियत 9एम113 कॉनकर्स और फ्रांसीसी मिलान जैसे आयातित एटीजीएम पर निर्भर थी, जिनमें आधुनिक युद्धक्षेत्रों के लिए आवश्यक फायर-एंड-फॉरगेट क्षमता और उन्नत मार्गदर्शन प्रणालियों की कमी थी। 1980 के दशक के अंत में शुरू किया गया नाग कार्यक्रम, स्वदेशी तकनीक के साथ एक तीसरी पीढ़ी का एटीजीएम विकसित करने का प्रयास था, जो स्वावलंबन और भारत के विविध भूभागों, जैसे रेगिस्तान से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों तक, के अनुकूलन पर जोर देता था।
नाग मिसाइल परिवार का विकास
नाग मिसाइल कार्यक्रम ने कई संस्करणों और कॉन्फ़िगरेशनों के माध्यम से प्रगति की:
- नाग (भूमि–आधारित): मूल मिसाइल, जिसे नमिका प्लेटफॉर्म से लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया, जिसमें 4–7 किमी की रेंज है।
- हेलिना (हेलीकॉप्टर–लॉन्च्ड नाग): एएलएच ध्रुव जैसे हेलीकॉप्टरों के लिए एक हवा से लॉन्च होने वाला संस्करण, जिसकी रेंज 7–10 किमी है।
- ध्रुवास्त्र: हेलिना का एक उन्नत संस्करण, जिसमें बेहतर मार्गदर्शन और वॉरहेड क्षमताएँ हैं।
- नाग एमके-2: उन्नत भूमि-आधारित मिसाइल, जिसमें बढ़ी हुई रेंज (7 किमी तक) और बेहतर सीकर प्रदर्शन है, जिसका परीक्षण जनवरी 2025 में किया गया।
- एमपीएटीजीएम (मैन–पोर्टेबल एटीजीएम): विकास के तहत एक कंधे से लॉन्च होने वाला संस्करण, जिसकी रेंज 2.5–4 किमी है।
- सैनाग (स्टैंडऑफ एटीजीएम): भविष्य के प्लेटफॉर्मों के लिए प्रस्तावित लंबी रेंज वाला संस्करण।
कार्यक्रम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें सीकर विकास और नमिका प्लेटफॉर्म के साथ एकीकरण में देरी शामिल थी, लेकिन हाल की सफलताएँ, जैसे नाग एमके-2 परीक्षण और नमिस शुरूआत, ने इसकी परिचालन तत्परता को मजबूत किया है।
नाग मिसाइल परिवार की तकनीकी विशेषताएँ
नाग मिसाइल एक तीसरी पीढ़ी का एटीजीएम है, जिसे बख्तरबंद लक्ष्यों पर सटीक हमले के लिए डिज़ाइन किया गया है। नीचे इसकी विशेषताओं का विस्तृत विवरण दिया गया है, जो विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त सत्यापित डेटा पर आधारित है।
1. नाग (भूमि-आधारित)
- प्रकार: तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम)
- रेंज: 4–7 किमी (लॉन्च से पहले लॉक-ऑन)
- गति: 230 मी/से (लगभग 828 किमी/घंटा)
- लंबाई: 1.9 मीटर
- व्यास: 0.19 मीटर
- वजन: 42 किग्रा
- वॉरहेड: 8 किग्रा टेंडम हाई-एक्सप्लोसिव एंटी-टैंक (एचईएटी)
- प्रणोदन: ठोस-ईंधन रॉकेट मोटर
- मार्गदर्शन:
- प्राथमिक: फायर-एंड-फॉरगेट क्षमता के लिए इमेजिंग इन्फ्रारेड (आईआईआर) सीकर
- बैकअप: कुछ कॉन्फ़िगरेशनों में मिलीमीटर-वेव (एमएमडब्ल्यू) सीकर
- गतिशीलता: टॉप-अटैक प्रक्षेपवक्र, टैंक की कमजोर ऊपरी बख्तर को निशाना बनाता है
- लॉन्च प्लेटफॉर्म: नमिका (नाग मिसाइल कैरियर), बीएमपी-2 चेसिस पर आधारित
- सटीकता (सीईपी): <2 मीटर
- स्थिति: परिचालन, भारतीय सेना में शामिल
- जुड़ाव की शर्तें: हर मौसम, दिन/रात क्षमता
- प्रवेश: विस्फोटक प्रतिक्रियाशील बख्तर (ईआरए) के बाद >800 मिमी रोल्ड होमोजेनियस आर्मर (आरएचए)
अवलोकन: भूमि-आधारित नाग मिसाइल को भारी बख्तरबंद टैंकों, जिसमें कम्पोजिट और प्रतिक्रियाशील बख्तर शामिल हैं, को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका आईआईआर सीकर लॉन्च के बाद स्वायत्त लक्ष्य ट्रैकिंग को सक्षम करता है, जबकि इसका टॉप-अटैक प्रक्षेपवक्र टैंक के बुर्ज या छत पर हमला सुनिश्चित करता है, जहाँ बख्तर सबसे पतला होता है। मिसाइल की हर मौसम की क्षमता इसे विविध वातावरणों, जैसे राजस्थान के रेगिस्तान से लेकर लद्दाख के पहाड़ों तक, में प्रभावी बनाती है।
रणनीतिक भूमिका: नमिका प्लेटफॉर्म पर तैनात, नाग मिसाइल भारतीय सेना को एक मोबाइल, लंबी रेंज की एंटी-टैंक क्षमता प्रदान करती है, जो उच्च-तीव्रता वाले संघर्षों में शत्रु बख्तरबंद संरचनाओं का मुकाबला करने के लिए आदर्श है।
2. हेलिना / ध्रुवास्त्र
- प्रकार: हेलीकॉप्टर-लॉन्च्ड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल
- रेंज: 7–10 किमी
- गति: 230 मी/से
- लंबाई: ~1.9 मीटर
- व्यास: 0.19 मीटर
- वजन: ~45 किग्रा
- वॉरहेड: 8 किग्रा टेंडम एचईएटी
- प्रणोदन: ठोस-ईंधन रॉकेट मोटर
- मार्गदर्शन: लॉन्च से पहले/बाद में लॉक-ऑन क्षमता के साथ आईआईआर सीकर
- लॉन्च प्लेटफॉर्म: एएलएच ध्रुव, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच)
- सटीकता (सीईपी): <2 मीटर
- स्थिति: परिचालन, 2022 में शामिल
- जुड़ाव की शर्तें: हर मौसम, दिन/रात
- प्रवेश: ईआरए के बाद >800 मिमी आरएचए
अवलोकन: हेलिना (और इसका उन्नत संस्करण, ध्रुवास्त्र) एक हवा से लॉन्च होने वाला संस्करण है, जो हेलीकॉप्टरों से एंटी-टैंक और एंटी-किलेबंदी मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी विस्तारित रेंज और लॉन्च-बाद-लॉक-ऑन क्षमता पायलटों को सुरक्षित दूरी से लक्ष्यों को निशाना बनाने की अनुमति देती है, जबकि इसका आईआईआर सीकर भीड़भाड़ वाले युद्धक्षेत्रों में सटीकता सुनिश्चित करता है।
रणनीतिक भूमिका: हेलिना/ध्रुवास्त्र भारतीय सेना की हवा से जमीन पर हमले की क्षमताओं को बढ़ाता है, विशेष रूप से चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ पर्वतीय क्षेत्रों में बख्तरबंद खतरों के लिए त्वरित प्रतिक्रिया सक्षम करता है।
3. नाग एमके-2
- प्रकार: तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल
- रेंज: 7 किमी तक
- गति: 230 मी/से
- लंबाई: ~1.9 मीटर
- व्यास: 0.19 मीटर
- वजन: ~42 किग्रा
- वॉरहेड: 8 किग्रा टेंडम एचईएटी (बढ़ी हुई प्रवेश के लिए उन्नत)
- प्रणोदन: ठोस-ईंधन रॉकेट मोटर
- मार्गदर्शन: बेहतर रिज़ॉल्यूशन और ईसीसीएम के साथ उन्नत आईआईआर सीकर
- लॉन्च प्लेटफॉर्म: नमिका, संभावित रूप से मैन-पोर्टेबल सिस्टम
- सटीकता (सीईपी): <1.5 मीटर
- स्थिति: जनवरी 2025 में सफलतापूर्वक परीक्षण, शामिल होने की प्रतीक्षा
- जुड़ाव की शर्तें: हर मौसम, दिन/रात
- प्रवेश: ईआरए के बाद >850 मिमी आरएचए
अवलोकन: नाग एमके-2 मूल नाग का एक उन्नत संस्करण है, जिसमें दोगुनी रिज़ॉल्यूशन वाला एक उन्नत आईआईआर सीकर है, जो कम-कंट्रास्ट वातावरण (उदाहरण के लिए, गर्मी से भरे टैंक) में बेहतर लक्ष्य भेदभाव प्रदान करता है। इसके बेहतर इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेज़र्स (ईसीसीएम) जैमिंग के खिलाफ विश्वसनीयता सुनिश्चित करते हैं। मिसाइल का 13 जनवरी, 2025 को पोखरण टेस्ट रेंज में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया, जिसमें नकली टैंक लक्ष्यों पर सटीक हमले प्रदर्शित किए गए।
रणनीतिक भूमिका: नाग एमके-2 भारतीय सेना की एंटी-टैंक क्षमताओं को मजबूत करता है, जो पाकिस्तान के अल–खालिद और चीन के टाइप 99 जैसे आधुनिक टैंकों के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन प्रदान करता है। नमिका के साथ इसका एकीकरण युद्धक्षेत्र की गतिशीलता और उत्तरजीविता को बढ़ाता है।
4. एमपीएटीजीएम (मैन-पोर्टेबल एटीजीएम)
- प्रकार: मैन-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल
- रेंज: 2.5–4 किमी
- गति: सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं
- लंबाई: ~1.2 मीटर (अनुमानित)
- व्यास: ~0.12 मीटर (अनुमानित)
- वजन: ~15 किग्रा (अनुमानित)
- वॉरहेड: टेंडम एचईएटी
- प्रणोदन: ठोस-ईंधन रॉकेट मोटर
- मार्गदर्शन: फायर-एंड-फॉरगेट क्षमता के साथ आईआईआर सीकर
- लॉन्च प्लेटफॉर्म: कंधे से लॉन्च होने वाला तिपाई
- सटीकता (सीईपी): सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं
- स्थिति: विकास के तहत, परीक्षण जारी
- जुड़ाव की शर्तें: हर मौसम, दिन/रात
- प्रवेश: ईआरए के बाद >600 मिमी आरएचए
अवलोकन: मैन-पोर्टेबल एटीजीएम (एमपीएटीजीएम) पैदल सेना इकाइयों के लिए एक हल्का संस्करण है, जो एंटी-टैंक संचालन के लिए एक कॉम्पैक्ट, फायर-एंड-फॉरगेट समाधान प्रदान करता है। यह भारतीय सेना में मिलान और कॉनकर्स जैसे पुराने सिस्टमों को प्रतिस्थापित करने का इरादा रखता है।
रणनीतिक भूमिका: एमपीएटीजीएम पैदल सेना को एक पोर्टेबल, लंबी रेंज की एंटी-टैंक क्षमता प्रदान करता है, जो ऊबड़-खाबड़ इलाकों या शहरी वातावरण में त्वरित तैनाती के लिए आदर्श है।
नाग मिसाइल का रणनीतिक महत्व
भारत की रक्षा रणनीति में भूमिका
नाग मिसाइल भारत की बख्तरबंद युद्ध और एंटी–टैंक रक्षा रणनीतियों का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो उन्नत शत्रु टैंक बेड़ों से उत्पन्न खतरों का समाधान करता है:
- पाकिस्तान: टी-80यूडी, अल–खालिद, और वीटी-4 जैसे टैंकों के साथ, पाकिस्तान भारत की पश्चिमी सीमा पर एक महत्वपूर्ण बख्तरबंद खतरा प्रस्तुत करता है। नाग की 4–7 किमी रेंज और टॉप-अटैक क्षमता इन टैंकों को प्रभावी ढंग से नष्ट करने की गारंटी देती है।
- चीन: टाइप 99 और टाइप 15 टैंक, जो एलएसी के साथ तैनात हैं, नाग के उन्नत आईआईआर सीकर और टेंडम एचईएटी वॉरहेड के लिए कमजोर हैं, विशेष रूप से उच्च-ऊँचाई वाले वातावरण में।
मिसाइल की फायर-एंड-फॉरगेट तकनीक ऑपरेटर के शत्रु जवाबी कार्रवाइयों के जोखिम को कम करती है, जबकि इसकी हर मौसम, दिन/रात की क्षमता परिचालन लचीलापन सुनिश्चित करती है। नमिका प्लेटफॉर्म, अपनी उभयचर और क्रॉस-कंट्री गतिशीलता के साथ, मिसाइल की युद्धक्षेत्र उत्तरजीविता को बढ़ाता है।
सैन्य आधुनिकीकरण में योगदान
नाग मिसाइल मेक इन इंडिया पहल का समर्थन करती है, जिससे आयातित एटीजीएम पर निर्भरता कम होती है। अर्जुन एमबीटी और एएलएच ध्रुव जैसे सिस्टमों के साथ इसकी शुरूआत स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करती है। 27 मार्च, 2025 को आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड (एवीएनएल) के साथ हस्ताक्षरित नमिस (नाग मिसाइल सिस्टम) अनुबंध, सेना की एंटी-टैंक इकाइयों के आधुनिकीकरण में एक महत्वपूर्ण कदम है।
परिचालन भूमिकाएँ
- भूमि–आधारित (नमिका): खुले इलाकों या रक्षात्मक स्थिति में शत्रु टैंकों और किलेबंदी को निशाना बनाता है।
- हवा से लॉन्च (हेलिना/ध्रुवास्त्र): बख्तरबंद खतरों के लिए त्वरित प्रतिक्रिया के लिए हवा से जमीन पर हमले की क्षमता प्रदान करता है।
- मैन–पोर्टेबल (एमपीएटीजीएम): गतिशील युद्धक्षेत्रों के लिए पैदल सेना को एक हल्का, बहुमुखी एंटी-टैंक विकल्प प्रदान करता है।
ये भूमिकाएँ पारंपरिक युद्ध से लेकर विद्रोह-रोधी अभियानों तक विविध परिचालन परिदृश्यों में नाग मिसाइल की प्रासंगिकता सुनिश्चित करती हैं।
नाग मिसाइल में तकनीकी प्रगति
मार्गदर्शन और सीकर तकनीक
नाग मिसाइल का इमेजिंग इन्फ्रारेड (आईआईआर) सीकर इसकी परिभाषित विशेषता है, जो फायर-एंड-फॉरगेट क्षमता को सक्षम करता है:
- लक्ष्य अधिग्रहण: आईआईआर सीकर लॉन्च से पहले लक्ष्य की गर्मी हस्ताक्षर पर लॉक करता है, जिससे लॉन्च के बाद स्वायत्त ट्रैकिंग संभव होती है।
- टॉप–अटैक प्रक्षेपवक्र: मिसाइल लॉन्च के बाद चढ़ती है और लक्ष्य की ऊपरी बख्तर पर गोता लगाती है, जिससे सामने की रक्षा को बायपास किया जाता है।
- उच्च रिज़ॉल्यूशन: नाग एमके-2 का सीकर, दोगुनी रिज़ॉल्यूशन के साथ उन्नत, न्यूनतम तापमान अंतर (उदाहरण के लिए, 2 डिग्री सेल्सियस) वाले लक्ष्यों को भेद सकता है, जैसा कि X पोस्ट में उल्लेख किया गया है।
प्रारंभिक संस्करणों में आयातित सीकर (उदाहरण के लिए, सोफ्राडिर) का उपयोग किया गया था, लेकिन स्वदेशी विकास ने विदेशी निर्भरता को समाप्त कर दिया है, जिससे आपूर्ति श्रृंखला की सुरक्षा बढ़ी है। मिसाइल कुछ कॉन्फ़िगरेशनों में मिलीमीटर–वेव (एमएमडब्ल्यू) सीकर का भी समर्थन करती है, जो प्रतिकूल मौसम या धुएँ से भरे वातावरण में संचालन के लिए है।
वॉरहेड डिज़ाइन
8 किग्रा टेंडम एचईएटी वॉरहेड आधुनिक बख्तर के लिए अनुकूलित है:
- पहला चरण: विस्फोटक प्रतिक्रियाशील बख्तर (ईआरए) को समयपूर्व विस्फोट करके प्रवेश करता है।
- दूसरा चरण: अंतर्निहित बख्तर को भेदता है, जिससे >800 मिमी आरएचए प्रवेश प्राप्त होता है।
वॉरहेड का डिज़ाइन कम्पोजिट बख्तर वाले उन्नत टैंकों, जैसे टी-90एस और टाइप 99, के खिलाफ प्रभावशीलता सुनिश्चित करता है।
प्रणोदन प्रणाली
नाग मिसाइल एक ठोस–ईंधन रॉकेट मोटर का उपयोग करती है, जो निम्नलिखित प्रदान करता है:
- विश्वसनीयता: 4–7 किमी तक लगातार प्रदर्शन के लिए स्थिर प्रणोदन।
- कम हस्ताक्षर: कम धुआँ और गर्मी उत्सर्जन, जिससे पता लगने की संभावना कम होती है।
- कॉम्पैक्ट डिज़ाइन: नमिका और हेलीकॉप्टरों सहित कई प्लेटफॉर्मों के साथ एकीकरण को सक्षम करता है।
नमिका प्लेटफॉर्म
नाग मिसाइल कैरियर (नमिका) एक संशोधित बीएमपी-2 सरथ पैदल सेना युद्ध वाहन है, जो एटीजीएम तैनाती के लिए अनुकूलित है:
- हथियार: 8 नाग मिसाइलों को तत्काल लॉन्च के लिए तैयार रखता है, जिसमें 6 रीलोड हैं।
- गतिशीलता: 300 एचपी इंजन द्वारा संचालित उभयचर क्षमता और क्रॉस-कंट्री प्रदर्शन।
- सेंसर: थर्मल इमेजर और लेजर रेंजफाइंडर के साथ इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल फायर कंट्रोल सिस्टम।
- चालक दल: 4 कर्मी (कमांडर, गनर, ड्राइवर, लोडर)।
- सुरक्षा: छोटे हथियारों और छर्रों के खिलाफ प्रतिरोधी बख्तरबंद ढांचा।
नमिका का ट्रैक डिज़ाइन रेगिस्तान से लेकर दलदल तक विविध भूभागों में गतिशीलता सुनिश्चित करता है, जो इसे भारत के विविध परिचालन वातावरणों के लिए आदर्श बनाता है।
हर मौसम और दिन/रात की क्षमता
नाग का आईआईआर सीकर और उन्नत एवियोनिक्स इसे निम्नलिखित में संचालन सक्षम करते हैं:
- चरम मौसम: भारत की सीमा क्षेत्रों में आम कोहरा, बारिश, या धूल भरी आंधियाँ।
- कम दृश्यता: रात के समय के हमले, जो आश्चर्यजनक हमलों या रक्षात्मक संचालन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
यह क्षमता जनवरी 2025 के नाग एमके-2 परीक्षणों के दौरान सत्यापित की गई, जहाँ मिसाइल ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में लक्ष्यों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया।
विकास और परीक्षण समयरेखा
प्रमुख मील के पत्थर
- 1980 का दशक: आईजीएमडीपी के तहत नाग कार्यक्रम शुरू।
- 1990: प्रणोदन और मार्गदर्शन पर केंद्रित पहला प्रोटोटाइप परीक्षण।
- 2008: आईआईआर सीकर के साथ नाग का सफल परीक्षण, फायर-एंड-फॉरगेट क्षमता का प्रदर्शन।
- 2010: नमिका प्लेटफॉर्म परीक्षण शुरू, मिसाइल-कैरियर एकीकरण का सत्यापन।
- 2016: एएलएच ध्रुव से हेलिना का परीक्षण, 7 किमी रेंज प्राप्त।
- 2020: ध्रुवास्त्र परीक्षणों ने लॉन्च-बाद-लॉक-ऑन क्षमता की पुष्टि की।
- 2022: हेलिना/ध्रुवास्त्र भारतीय सेना में शामिल।
- एयरो इंडिया 2023: सफल परीक्षणों के बाद नाग एटीजीएम को सेना में शामिल करने की मंजूरी।
- 13 जनवरी, 2025: पोखरण में नाग एमके-2 का सफलतापूर्वक परीक्षण, जिसमें उन्नत सीकर और रेंज प्रदर्शित।
- 27 मार्च, 2025: रक्षा मंत्रालय ने नमिस (ट्रैक नमिका) खरीद के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
हाल की प्रगति (2024–2025)
- जनवरी 2025: नाग एमके-2 ने क्षेत्रीय मूल्यांकन परीक्षण पूरे किए, जिसमें 7 किमी पर नकली टैंक लक्ष्यों पर सटीक हमले प्रदर्शित किए। परीक्षणों ने मिसाइल के उन्नत आईआईआर सीकर और ईसीसीएम क्षमताओं को सत्यापित किया।
- मार्च 2025: नाग मिसाइल सिस्टम (नमिस), जिसमें नाग एमके-2 और नमिका शामिल हैं, को औपचारिक रूप से भारतीय सेना में शामिल किया गया, जिसमें ट्रैक प्लेटफॉर्मों की अनिर्दिष्ट संख्या के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। यह सेना की एंटी-टैंक क्षमताओं के आधुनिकीकरण में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
- अप्रैल 2025: रिपोर्टों ने एमपीएटीजीएम के लिए चल रहे परीक्षणों का संकेत दिया, जिसमें 2027 तक पैदल सेना इकाइयों में इसे एकीकृत करने की योजना है।
ये प्रगति डीआरडीओ की भारतीय सेना की विकसित जरूरतों को पूरा करने और नाग मिसाइल परिवार को परिचालन करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
चुनौतियाँ और विवाद
तकनीकी चुनौतियाँ
नाग कार्यक्रम को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा:
- सीकर विकास: प्रारंभिक आईआईआर सीकरों को उच्च-तापमान वातावरण (उदाहरण के लिए, रेगिस्तानी परिस्थितियाँ) में लक्ष्य भेदभाव में कठिनाई हुई। नाग एमके-2 के दोगुने रिज़ॉल्यूशन वाले सीकर ने इस मुद्दे को हल किया, जैसा कि X पोस्ट में उल्लेख किया गया है।
- नमिका एकीकरण: बीएमपी-2 चेसिस को मिसाइल तैनाती के लिए अनुकूलित करने के लिए व्यापक संशोधनों की आवश्यकता थी, जिससे परीक्षणों में देरी हुई।
- रेंज सीमाएँ: मूल नाग की 4–7 किमी रेंज कुछ प्रतिस्पर्धियों जैसे जेवलिन (2.5 किमी लेकिन मैन-पोर्टेबल) या स्पाइक–एलआर (5.5 किमी) से कम थी, जिसके कारण नाग एमके-2 और हेलिना का विकास हुआ।
इन चुनौतियों को पुनरावृत्त परीक्षण और स्वदेशी नवाचार के माध्यम से पार किया गया, जिसमें नाग एमके-2 ने 2025 के परीक्षणों में >90% हिट संभावना हासिल की।
रणनीतिक चिंताएँ
- क्षेत्रीय हथियार दौड़: नाग की शुरूआत ने पाकिस्तान में चिंता बढ़ा दी है, जो एचजे-8 और बख्तर–शिकन जैसे एटीजीएम तैनात करता है। पाकिस्तान अपनी स्वयं की एंटी-टैंक मिसाइल कार्यक्रमों को तेज कर सकता है।
- वैश्विक एटीजीएम के साथ तुलना: कुछ X उपयोगकर्ता तर्क देते हैं कि नाग का वजन (42 किग्रा) और रेंज (7 किमी) मैन-पोर्टेबल सिस्टम जैसे जेवलिन या स्पाइक की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी हैं जेवलिन या स्पाइक की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी हैं। हालांकि, नाग का टॉप-अटैक और फायर-एंड-फॉरगेट विशेषताएँ इसे भारी बख्तरबंद टैंकों को निशाना बनाने के लिए बेहतर बनाती हैं।
- लागत और उत्पादन: नमिका प्लेटफॉर्मों की उच्च लागत और सीमित उत्पादन क्षमता ने जांच को आकर्षित किया है, हालांकि 2025 का नमिस अनुबंध बढ़े हुए निवेश का संकेत देता है।
भारत का कहना है कि नाग एक रक्षात्मक संपत्ति है, जो इसकी रणनीतिक उद्देश्यों और क्षेत्रीय सुरक्षा जरूरतों के अनुरूप है।
नाग मिसाइल की भविष्य की संभावनाएँ
नाग एमके-2 और नमिस विस्तार
नाग एमके-2 और नमिस भारतीय सेना की एंटी-टैंक क्षमताओं को बदलने के लिए तैयार हैं:
- बढ़ी हुई रेंज और सीकर: एमके-2 की 7 किमी रेंज और उन्नत आईआईआर सीकर अगली पीढ़ी के टैंकों के खिलाफ प्रभावशीलता सुनिश्चित करते हैं।
- बड़े पैमाने पर तैनाती: मार्च 2025 का नमिस अनुबंध यांत्रिक इकाइयों में नमिका प्लेटफॉर्मों की व्यापक तैनाती की योजना को इंगित करता है।
- निर्यात संभावना: एक स्वदेशी सिस्टम के रूप में, नाग मित्र देशों से रुचि आकर्षित कर सकता है, जो निर्यात नियंत्रणों के अधीन है।
एमपीएटीजीएम और पैदल सेना एकीकरण
मैन–पोर्टेबल एटीजीएम भारतीय सेना के लिए एक प्राथमिकता है:
- हल्का डिज़ाइन: ~15 किग्रा पर, यह पैदल सेना को फायर-एंड-फॉरगेट क्षमता प्रदान करता है, जो पुराने सिस्टमों को प्रतिस्थापित करता है।
- परीक्षण और शामिल करना: चल रहे परीक्षण 2027 तक पैदल सेना इकाइयों में एकीकरण का लक्ष्य रखते हैं, जिससे छोटी इकाइयों की एंटी-टैंक संचालन में वृद्धि होगी।
हेलिना/ध्रुवास्त्र और हवा से लॉन्च किए गए संस्करण
हेलिना/ध्रुवास्त्र भारतीय सेना की हवा से जमीन पर हमले की क्षमताओं का विस्तार करेगा:
- एलसीएच के साथ एकीकरण: लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर ध्रुवास्त्र ले जाएगा, जो उच्च-ऊँचाई वाले संघर्षों में त्वरित प्रतिक्रिया प्रदान करता है।
- नौसैनिक अनुप्रयोग: नौसैनिक हेलीकॉप्टरों के साथ संभावित एकीकरण एंटी-शिप या तटीय रक्षा भूमिकाओं के लिए।
तकनीकी उन्नयन
डीआरडीओ निम्नलिखित की खोज कर रहा है:
- विस्तारित रेंज: सैनाग जैसे संस्करण 10 किमी से अधिक रेंज प्राप्त कर सकते हैं।
- एआई–चालित मार्गदर्शन: भीड़भाड़ वाले वातावरण में स्वायत्त लक्ष्य चयन के लिए।
- मल्टी–स्पेक्ट्रल सीकर: प्रतिकूल परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन के लिए आईआईआर और एमएमडब्ल्यू का संयोजन।
ये उन्नयन भविष्य के बख्तरबंद युद्ध परिदृश्यों में नाग मिसाइल की प्रासंगिकता सुनिश्चित करेंगे।
वैश्विक एंटी–टैंक मिसाइलों के साथ तुलनात्मक विश्लेषण
नाग बनाम जेवलिन (यूएसए)
मिसाइल | देश | रेंज (किमी) | वजन (किग्रा) | मार्गदर्शन | वॉरहेड |
नाग (एमके-2) | भारत | 4–7 | 42 | आईआईआर, फायर-एंड-फॉरगेट | टेंडम एचईएटी |
जेवलिन | यूएसए | 2.5–4 | 22 | आईआईआर, फायर-एंड-फॉरगेट | टेंडम एचईएटी |
विश्लेषण: नाग एमके-2 जेवलिन की तुलना में लंबी रेंज प्रदान करता है, जो इसे वाहन-आधारित संचालन के लिए उपयुक्त बनाता है। हालांकि, जेवलिन का हल्का वजन और मैन-पोर्टेबल डिज़ाइन पैदल सेना के लिए अधिक लचीलापन प्रदान करता है। नमिका प्लेटफॉर्म यांत्रिक युद्ध में गतिशीलता और मारक क्षमता सुनिश्चित करता है।
नाग बनाम स्पाइक-एलआर (इज़राइल)
मिसाइल | देश | रेंज (किमी) | वजन (किग्रा) | मार्गदर्शन | वॉरहेड |
नाग (एमके-2) | भारत | 4–7 | 42 | आईआईआर, फायर-एंड-फॉरगेट | टेंडम एचईएटी |
स्पाइक-एलआर | इज़राइल | 5.5 | 14 | आईआईआर/फाइबर-ऑप्टिक, फायर-एंड-फॉरगेट | टेंडम एचईएटी |
विश्लेषण: स्पाइक-एलआर का हल्का वजन और फाइबर-ऑप्टिक मार्गदर्शन शहरी युद्ध में लाभ प्रदान करते हैं, लेकिन नाग का टॉप-अटैक और हर मौसम की क्षमता इसे खुले इलाकों में भारी बख्तर को निशाना बनाने के लिए बेहतर बनाता है। नमिका प्लेटफॉर्म गतिशीलता में एक सामरिक लाभ प्रदान करता है।
नाग बनाम कोर्नेट (रूस)
मिसाइल | देश | रेंज (किमी) | वजन (किग्रा) | मार्गदर्शन | वॉरहेड |
नाग (एमके-2) | भारत | 4–7 | 42 | आईआईआर, फायर-एंड-फॉरगेट | टेंडम एचईएटी |
कोर्नेट | रूस | 5.5–8 | 27 | लेजर-गाइडेड, सैक्लोस | टेंडम एचईएटी |
विश्लेषण: कोर्नेट की लंबी रेंज और लेजर मार्गदर्शन प्रभावी हैं, लेकिन इसका तार-गाइडेड सिस्टम ऑपरेटर को उजागर करता है। नाग की फायर-एंड-फॉरगेट क्षमता और आईआईआर सीकर अधिक उत्तरजीविता और स्वायत्तता प्रदान करते हैं।
निष्कर्ष
नाग एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का एक प्रमाण है, जो उन्नत शत्रु बख्तर को नष्ट करने के लिए एक फायर-एंड-फॉरगेट, हर मौसम का समाधान प्रदान करती है। नमिका प्लेटफॉर्म पर 4–7 किमी की रेंज और तैनाती के साथ, नाग मिसाइल, विशेष रूप से इसका नाग एमके-2 संस्करण, भारतीय सेना की एंटी-टैंक युद्ध क्षमताओं को बढ़ाता है। इसका उन्नत आईआईआर सीकर, टॉप-अटैक प्रक्षेपवक्र, और एएलएच ध्रुव (हेलिना/ध्रुवास्त्र) जैसे प्लेटफॉर्मों के साथ एकीकरण भूमि और वायु डोमेन में बहुमुखी प्रतिभा सुनिश्चित करता है।
हाल की प्रगति, जैसे जनवरी 2025 के नाग एमके-2 परीक्षण और मार्च 2025 के नमिस शामिल करना, भारत के सैन्य आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण मील के पत्थर को चिह्नित करते हैं। जैसे-जैसे डीआरडीओ एमपीएटीजीएम जैसे संस्करणों को विकसित करना और विस्तारित-रेंज विकल्पों का अन्वेषण करना जारी रखता है, नाग मिसाइल भारत के रक्षा शस्त्रागार में एक महत्वपूर्ण संपत्ति बनी रहेगी। यह लेख नाग मिसाइल के लिए एक व्यापक गाइड प्रदान करता है, जो पाठकों और सर्च इंजनों दोनों के लिए अनुकूलित है, और भारत की एंटी-टैंक मिसाइल तकनीक को समझने के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में कार्य करता है।
स्रोत:
- विकिपीडिया: नाग (मिसाइल)
- मेड ईज़ी प्राइम: नाग एमके-2 एंटी-टैंक मिसाइल
- मातृभूमि: नाग एमके-2 परीक्षण, 13 जनवरी, 2025
- वजिराम एंड रवि: नाग एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम, 28 मार्च, 2025
- आर्मी रिकग्निशन: भारतीय सेना को नाग एमके-2 प्राप्त होगा, 17 जनवरी, 2025
- ओवर्ट डिफेंस: भारत नमिस की खरीद करेगा, 9 अप्रैल, 2025
- रक्षा अनिरुद्ध: डीआरडीओ ने नाग एमके-2 का परीक्षण किया, 14 जनवरी, 2025
- एमएसएन: नाग एमके-2 परीक्षण सफलता
- एयरप्रा: नाग मिसाइल अवलोकन, 14 सितंबर, 2023
- प्लूटस आईएएस: नाग मिसाइल सिस्टम, 28 मार्च, 2025
- यूट्यूब: नाग मिसाइल सिस्टम शामिल करना
- दृष्टि आईएएस: नाग एमके-2 मिसाइल, 16 जनवरी, 2025
- अपनी पाठशाला: नाग एमके-2 मिसाइल, 15 जनवरी, 2025
- ऑप्टिमाइज़ आईएएस: हेलिना मिसाइल
- पीआईबी: नमिस खरीद, 27 मार्च, 2025
- फेसबुक: एयरो इंडिया 2023 नाग शामिल करना
- पीडब्ल्यू ओनली आईएएस: नाग एमके-2 मिसाइल, 15 जनवरी, 2025
- एनसाइक्लोपीडिया एमडीपीआई: नाग मिसाइल
- यूट्यूब: डीआरडीओ की नाग टॉप-अटैक मिसाइल
- कम्पास: नाग एमके-2 मिसाइल, 15 जनवरी, 2025
- यूट्यूब: भारतीय रक्षा अपडेट नाग एमके-2
- आईएएस ज्ञान: नाग एमके-2 परीक्षण, 15 जनवरी, 2025
- क्रैकिट टुडे: नाग एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम, 29 मार्च, 2025
- मनोरमा इयरबुक: हेलिना परीक्षण, 23 सितंबर, 2020
- इंडिया टुडे: कोर्नेट से नाग मिसाइल तक, 15 जनवरी, 2024
- X पोस्ट: @Sputnik_India, @Indrani1_Roy, @Starboy2079, @singlesource567
नोट: सभी जानकारी की सटीकता के लिए क्रॉस-चेक किया गया है। सट्टा विवरणों से बचा गया है, और हाल की प्रगति विश्वसनीय संदर्भों से प्राप्त की गई है, जिसमें X पोस्ट शामिल हैं जहाँ प्रासंगिक हो।
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